🤔 क्या शनि का प्रभाव आपके जीवन में अप्रत्याशित बाधाएं, देरी या तनाव पैदा कर रहा है?
किसी व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक डर पैदा करने वाली अवधि में से एक होती है साढ़े साती की अवधि। साढ़े साती मूल रूप से लगभग 7.5 वर्षों की एक ऐसी अवधि होती है, जिसमें व्यक्ति कठिन परीक्षाओं और क्लेशों से गुजरता है, और जीवन के हर मोड़ पर उसकी परीक्षा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस समय शनि देव की दृष्टि में व्यक्ति को अपनी ताकत, अनुशासन और कर्म की सच्चाई साबित करनी होती है। इसी तरह ढैया जो कि 2.5 वर्षों की अवधि होती है, जीवन में मानसिक दबाव, आर्थिक अड़चनें और भावनात्मक तनाव लाती है। हालांकि सच्ची भक्ति और उचित उपायों के माध्यम से शनि देव के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार शनि देव पीपल के पेड़ में वास करते हैं। जो लोग शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे उनकी पूजा करते हैं, उन्हें शनि देव का आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त होती है।
ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार की श्रद्धापूर्ण पूजा से साढ़े साती और ढैया के कठोर प्रभावों से राहत मिलती है। इसी कारण इस शनिवार को श्री मंदिर कोसी कलां में एक विशेष आयोजन किया जा रहा है जिसमें शनि शिला तिल तेल अभिषेक और पीपल वृक्ष अर्चना की जाएगी। इस आयोजन में एक पवित्र पीपल वृक्ष के नीचे शनि शिला की विधिवत स्थापना और पूजा की जाएगी। इस शक्तिशाली पूजा में शनि शिला पर तिल के तेल से अभिषेक किया जाएगा जो पुरानी समस्याओं, भय और जीवन की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करता है। दैवीय कृपा और कर्म संतुलन के लिए पीपल वृक्ष की विशेष अर्चना भी की जाएगी। किंवदंती के अनुसार जब मां यशोदा ने शनि देव को शिशु श्रीकृष्ण को देखने की अनुमति नहीं दी थी, क्योंकि वे उनके प्रभाव से डरती थीं, तब शनि देव ने नंदगांव के पास एक वन में कठोर तपस्या की।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण एक कोयल (कोकिला) के रूप में उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें हमेशा वहीं निवास करने का आशीर्वाद दिया। इसलिए इस स्थान को कोकिलावन कहा जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का नाम जपने से शनि शांत होते हैं और कठिन समय में भावनात्मक संतुलन और आध्यात्मिक शांति मिलती है। यह पूजा साढ़े साती, ढैया या अशुभ शनि की चुनौतियों का सामना कर रहे लोगों के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय मानी जाती है। राहत, शक्ति और स्थिरता के लिए शनि देव का आशीर्वाद पाने हेतु इस शनिवार को कोसी कलां में होने वाली पूजा में अवश्य भाग लें।