✨ जब कोई व्यक्ति बार-बार उलझन, निर्णय न ले पाना या मानसिक बेचैनी महसूस करता है तो ज्योतिष के अनुसार इसका कारण केतु ग्रह का प्रभाव हो सकता है। केतु को ऐसा ग्रह माना जाता है जो दिशा में भ्रम पैदा करता है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, जो समुद्र मंथन से संबंधित है। जब देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे और अमृत निकला, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत बांटना शुरू किया। उसी समय असुर स्वर्भानु देवताओं की पंक्ति में बैठकर धोखे से अमृत पीने लगा। यह देखकर सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को बताया, तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन क्योंकि उसने अमृत पी लिया था, उसके सिर और धड़—दोनों अमर हो गए। सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु बन गया।
चूँकि केतु के पास सिर नहीं है, इसलिए उसे ‘दिशाहीन ग्रह’ कहा जाता है। माना जाता है कि इसी कारण केतु मन में उलझन, भ्रम और निर्णय लेने में कठिनाई पैदा करता है। साथ ही केतु को ऐसा ग्रह भी माना गया है, जो इंसान को भौतिक जीवन से दूर कर आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है।
🔮 केतु के प्रभाव से राहत का उपाय
शास्त्रों के अनुसार, केतु के दुष्प्रभाव कम करने के लिए केतु मूल मंत्र का 7,000 बार जाप और एक विशेष हवन करना बहुत लाभकारी माना गया है। ये उपाय मन को शांत करते हैं, सोच में स्पष्टता लाते हैं और सही दिशा चुनने में मदद करते हैं। क्योंकि भगवान गणेश को केतु का अधिपति माना जाता है, इसलिए ‘गणेश अथर्वशीर्ष’ का पाठ और उनकी विशेष पूजा भी इसमें शामिल होती है। यह उपाय बुधवार के दिन करने पर विशेष प्रभावकारी माना जाता है। इसी महत्व के साथ यह विशेष अनुष्ठान उज्जैन के श्री चिंतामण गणेश मंदिर में कराया जा रहा है। आप भी इस पूजा में शामिल होकर अपने जीवन में स्थिरता और स्पष्टता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकते हैं।