🙏 जानें, भगवान विष्णु की पवित्र नगरी प्रयागराज में जया एकादशी के दिन की जाने वाली क्या है इस पूजा का महत्व?
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। वहीं, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाने वाली विजया एकादशी को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस वर्ष इसका महत्व और भी अधिक है क्योंकि यह महाकुंभ के पवित्र अवसर के साथ मेल खाता है, जो इसे आध्यात्मिक साधना के लिए आदर्श समय बनाता है। इस अवधि के दौरान धार्मिक अनुष्ठान करने से अपार आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए, इस शुभ अवधि के दौरान भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए, 11,000 विष्णु द्वादशारी मंत्र जाप, श्री सूक्तम और सुदर्शन हवन का आयोजन किया जा रहा है। विष्णु द्वादशाक्षरी मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय एवं प्रभावशाली है। इसके जाप से न केवल भगवान विष्णु की कृपा मिलती है, बल्कि यह जीवन के सभी कष्टों और आर्थिक कठिनाइयां भी दूर होती हैं। जबकि श्री सूक्तम, महालक्ष्मी की स्तुति है, जो धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का आह्वान करता है। वहीं, सुदर्शन हवन भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का प्रतीक है, जो नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करता है।
मान्यताओं के अनुसार, जैसे काशी भगवान शिव की नगरी है, वैसे ही प्रयागराज को भगवान विष्णु की नगरी कहा जाता है। मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण और पद्म पुराण जैसे ग्रंथों में प्रयागराज स्थित श्री वेणी माधव मंदिर को भगवान विष्णु का पहला निवास स्थान बताया गया है। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने राक्षस गजकर्ण को हराकर त्रिवेणी संगम की पवित्रता को बचाया था। दरअसल राक्षस गजकर्ण ने लालच में आकर गंगा, यमुना और सरस्वती का पूरा पानी निगल लिया था, जिसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राक्षस का वध किया और नदियों को उनके मूल प्रवाह में लौटाया। इसके बाद भगवान विष्णु ने वेणी माधव के रूप में हमेशा के लिए प्रयागराज में निवास करने का निर्णय लिया। यह माना जाता है कि विजया एकादशी पर श्री वेणी माधव मंदिर में यह विशेष पूजा करने से भक्तों की मनचाही इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद मिलता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से धन-संपत्ति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।