🙏क्या एक पूजा से धन, सफलता और सुरक्षा मिल सकती है?
कालाष्टमी, हिंदू धर्म में भगवान भैरव को समर्पित एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप भैरव को "रक्षक देवता" कहा जाता है, जो भक्तों के जीवन से बाधाएं दूर करते हैं, धन-समृद्धि प्रदान करते हैं, उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा करते हैं। भैरव दो मुख्य रूपों में पूजे जाते हैं: काल भैरव और बटुक भैरव। पौराणिक कथा के अनुसार, जब माँ काली ने राक्षस दारुका का वध किया और उनका क्रोध विकराल रूप ले चुका था, तब भगवान शिव ने पाँच वर्ष के बालक का रूप धारण कर उन्हें "माँ" कहकर पुकारा। उस भोले बालक को देखकर माँ का हृदय पिघल गया और वे शांत होकर पार्वती रूप में लौट आईं। उसी बाल रूप की पूजा बटुक भैरव के रूप में की जाती है, जो भक्तों को समृद्धि और प्रसन्नता का आशीर्वाद देते हैं।
कालाष्टमी पर बटुक भैरव के साथ-साथ स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा विशेष रूप से धन, सफलता और आर्थिक सुरक्षा के लिए की जाती है। उन्हें एक अक्षय पात्र (जिससे कभी भी समृद्धि खत्म नहीं होती) पकड़े हुए दर्शाया गया है, जिसके आगे भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी भी नतमस्तक हैं। एक प्राचीन कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच सौ वर्षों तक चले युद्ध के बाद स्वर्गलोक की समृद्धि समाप्त हो गई थी। कुबेर का खजाना खाली हो गया और लक्ष्मी जी के पास भी देने के लिए कुछ नहीं था। तब वे भगवान शिव की शरण में पहुंचे, जिन्होंने नंदी के माध्यम से स्वर्णाकर्षण भैरव की उपासना का रहस्य बताया। कुबेर और लक्ष्मी जी ने कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप स्वर्णाकर्षण भैरव प्रकट हुए और उन्होंने अपने चारों हाथों से सोना बरसाया, जिससे स्वर्ग में फिर से समृद्धि लौट आई।
ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी पर स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा करने से कर्ज से मुक्ति, वित्तीय स्थिरता और दुर्भाग्य से रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से भगवान शिव की नगरी काशी में की गई यह पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।