🪙 गणपति बप्पा के आशीर्वाद से मंगल-केतु दोष शांति का दुर्लभ अवसर
💫 मंगल और केतु दोष शांति के लिए मूल नक्षत्र का संयोग
मंगल और केतु दोष को ज्योतिष शास्त्र में संघर्ष, बाधाओं और अस्थिरता का कारण माना गया है। जब कुंडली में मंगल और केतु की अशुभ स्थिति बनती है, तो करियर, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में रुकावटें बढ़ जाती हैं। इसलिए, मंगलवार के दिन केतु के नक्षत्र ‘मूल’ में होने जा रहे इस विशेष गणपति अनुष्ठान से इन दोषों के निवारण की दिशा मिल सकती है, क्योंकि बप्पा विघ्नहर्ता और मंगलकारी देवता हैं। मंगल और केतु के दोषों से राहत पाने के लिए उज्जैन के मंगलनाथ महादेव मंदिर में विघ्न विनाशक मंगल-केतु शांति पूजा होने जा रही है। इन दोषों का समाधान सामान्य साधना से संभव नहीं है, इसलिए इस दुर्लभ अनुष्ठान को नक्षत्र विशेष में मंगलवार के दिन संपन्न कराया जाएगा।
🌿 गणपति उत्सव के दौरान की जा रही इस आराधना से भक्तों को पिछले कर्मों के सुधार का विशेष आशीर्वाद मिल सकता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, जो जीवन में आ रही समस्याओं और कष्टों का क्षणभर में नाश कर सकते हैं। उनकी पूजा से मानसिक शांति, समृद्धि, और सुख-शांति का वास होता है। विशेष रूप से इस गणेश पूजा के दौरान, भक्त अपने पुराने और नकारात्मक कर्मों को शुद्ध करने के लिए प्रार्थना करते हैं, जिससे जीवन में नये अवसर और सकारात्मक परिवर्तन आ सकें। गणपति उत्सव न केवल भक्ति का समय है, बल्कि आत्मिक उन्नति की ओर बढ़ने का भी सुनहरा अवसर है।
📜 शास्त्रों में गणपति पूजा और मंगल-केतु योग शांति का विशेष संबंध बताया गया है, क्योंकि गणेश जी की पूजा से जीवन में आ रहे विघ्नों का निवारण जल्द संभव है। मंगल और केतु का दोष जीवन में संघर्ष, मानसिक अस्थिरता और कार्यों में विघ्न बढ़ाता है। गणेश जी की पूजा से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने की दिशा और शक्ति मिलती है। गणेश जी की विधिवत आराधना से मंगल और केतु के दोषों का नाश होता है और जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सकारात्मकता बढ़नी शुरू हो जाती है।
🕉️ यह अनुष्ठान गणपति उत्सव के बीच आयोजित हो रहा है, जो इसके महत्व को कई गुना बढ़ा देता है। यह एक बड़े उल्लास से भरपूर पर्व है, जिसमें भगवान गणेश की पूजा-अर्चना, आराधना और भक्ति के विविध रूपों का अनुभव मिलता है। इस उत्सव के दौरान, भक्त अपने घरों और मंदिरों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर विघ्नों का निवारण, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से मंगल-केतु योग शांति अनुष्ठान में भाग लें और जीवन के संघर्षों से राहत का आशीर्वाद पाएं।