🔱 गुप्त नवरात्रि की अष्टमी और नवमी: जब शिव-शक्ति की कृपा से मिटते हैं संकट, और खुलते हैं सिद्धि व समृद्धि के द्वार 🔱
गुप्त नवरात्रि के अंतिम दो दिन यानी अष्टमी और नवमी, साधना, तंत्र शक्ति और दैवी कृपा के सबसे विशेष अवसर माने जाते हैं। यह समय साधकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इन तिथियों पर की गई आराधना न सिर्फ शीघ्र फलदायी होती है, बल्कि जीवन में आ रही अदृश्य बाधाओं, आर्थिक रुकावटों और मानसिक उलझनों को भी समाप्त करती है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि की अष्टमी शिव भक्तों के लिए और नवमी देवी उपासकों के लिए अत्यंत शुभ संयोग लेकर आई है, क्योंकि इस विशेष अष्टमी तिथि पर दो विशिष्ट पूजन का आयोजन किया जा रहा है।
इस अनुष्ठान में सर्वप्रथम, बटुक भैरव मंदिर में भगवान नीलकंठेश्वर शिव का रुद्राभिषेक शामिल है, जो रक्षक और उग्र रूप में शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। यह रुद्राभिषेक वैदिक मंत्रों और विशेष तांत्रिक विधियों से किया जाएगा, जिससे जीवन में व्याप्त भय, रोग, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है। वहीं शक्तिपीठ मां तारापीठ मंदिर में मां तारा का तंत्रोक्त यज्ञ सम्पन्न होगा, जो दस महाविद्याओं में प्रमुख देवी तारा को समर्पित है। मां तारा संकट से तारने वाली, शत्रुनाशिनी और मोक्ष प्रदायिनी देवी मानी जाती हैं। यह यज्ञ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी माना जाता है, जो जीवन में बार-बार रुक रहे हैं, निर्णय नहीं ले पा रहे या अदृश्य शत्रु बाधा से जूझ रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, नवमी तिथि को कन्या पूजन एवं भोज संपन्न किया जाएगा, जिसमें नौ कन्याओं को देवी के नौ रूपों का स्वरूप मानकर पूजा की जाएगी। यह पूजन गुप्त नवरात्रि की साधना को पूर्णता प्रदान करेगी है। मान्यता है कि नौ कन्याओं का श्रद्धापूर्वक पूजन करने से साधक को देवी शक्ति का प्रत्यक्ष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में शुभ फल शीघ्र दिखाई देने लगते हैं। यह दो दिवसीय अनुष्ठान साधना, सुरक्षा और सिद्धि की त्रिवेणी है। एक ओर शिव की कृपा से आत्मबल और संकटों से मुक्ति मिलती है, तो दूसरी ओर माँ तारा की उपासना से भय, भ्रम और शत्रुता समाप्त होती है। अंत में नवमी का कन्या पूजन साधना को पूर्णता और जीवन को शुभता से भर देता है।
🙏 आप श्री मंदिर के माध्यम से इन दिव्य अनुष्ठानों में सहभागी बनें और गुप्त नवरात्रि की अष्टमी व नवमी पर शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा से अपने जीवन को नई दिशा दें।