क्या आप भी जीवन की उलझनों, बार-बार की असफलताओं और अनजाने पापों से मुक्ति चाहते हैं? 🌊🙏
गंगा दशहरा के इस पावन अवसर पर माँ गंगा की कृपा से पाएं आंतरिक शांति, पापों से मुक्ति और एक नया शुभ आरंभ! 🔥🕉️
गंगा दशहरा हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है, जिसे माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के स्मरण में मनाया जाता है। पुराणों में वर्णित है कि प्राचीन काल में राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर अवतरण के लिए आईं। लेकिन माँ गंगा का तेजस्वी प्रवाह धरती पर गिरते ही संपूर्ण भूमि को नष्ट कर सकता था। तब भगवान शिव ने अपने जटाओं में गंगा के प्रवाह को वश में लिया और धीरे-धीरे गंगा को पृथ्वी पर भेजा, ताकि उनका प्रवाह नियंत्रित होकर सभी जीवों के कल्याणकारी बने। ऐसे माँ गंगा का अवतरण संभव हो पाया और भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए गंगा दशहरा को मोक्षदायिनी माँ गंगा की कृपा का विशेष दिन माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान करने, गंगा का स्पर्श करने या उसका स्मरण करने मात्र से जान-बूझकर या अनजाने में किए गए पापों का नाश हो जाता है। यह शक्तिशाली संकल्प पूजा भावनात्मक दर्द, अनसुलझे कर्म चक्र और मानसिक अशांति को भी दूर करने में सहायक होती है। इसीलिए गंगा दशहरा के पावन अवसर पर विशेष पूजा और यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है, जोकि आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक मानी जाती है। इस यज्ञ के द्वारा व्यक्ति अपने अंदर छुपे भावनात्मक घावों को भर सकता है, अपने अनसुलझे कर्मों के बंधन से मुक्त हो सकता है और मानसिक अशांति से राहत पा सकता है क्योंकि यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि, पापों की क्षमा और गहरी आध्यात्मिक शांति का अवसर है।
आप भी इस पावन अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से माँ गंगा की अनंत कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख-शांति एवं सकारात्मक बदलाव लाएँ।