क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण और माँ काली के बीच एक गहरा और खास रिश्ता है, जो आपके जीवन में एक शक्तिशाली बदलाव ला सकता है? 🙏
इस जन्माष्टमी पर, प्रेम, ज्ञान और करुणा के स्रोत भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता से जुड़ने का अवसर पाएं। भगवान विष्णु के प्रिय अवतार माने जाने वाले कृष्ण, अपनी शरारत और गहरी शिक्षाओं के सुंदर संतुलन के लिए जाने जाते हैं। भगवद्गीता में वे खुद को काल कहते हैं यानी वह शक्ति जो सृष्टि और विनाश के समयचक्र को चलाती है। जब वे कहते हैं, “मैं काल हूं,” तब वे हमें याद दिलाते हैं कि वे इस ब्रह्माँड के विकास और संतुलन को बनाए रखने वाले हैं लेकिन एक बात बहुत गहरी और सोचने लायक है क्या हो अगर कृष्ण और काली, ये दो अलग-अलग दिखने वाली दिव्य शक्तियाँ, असल में एक ही परम शक्ति के दो रूप हों? जहाँ कृष्ण काल के रूप में ब्रह्माँडीय पुरुष शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहीं माँ काली काल की स्त्री शक्ति हैं वह ऊर्जा जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म को चलाती है। माँ काली हर पुराने और नकारात्मक तत्व को नष्ट कर एक नई शुरुआत की राह बनाती हैं, जिससे आत्मा का विकास और आंतरिक परिवर्तन संभव होता है।
जब ये दोनों शक्तियाँ एक साथ आती हैं, तो वह एक दिव्य संतुलन बनता है समय और जीवन की एकता का गहरा अनुभव इसी दिव्यता को समर्पित है काली-कृष्ण भक्ति शक्ति उदय पूजा इस विशेष पूजा में भगवान कृष्ण और माँ काली दोनों की एक साथ पूजा की जाती है ताकि भक्तों को शक्ति, बदलाव और भक्ति का आशीर्वाद मिल सके। जब आप कृष्ण के प्रेम और काली की शक्ति का आह्वान करते हैं, तो आप अपने जीवन में ऐसे बदलावों को आमंत्रित करते हैं जो आत्मिक विकास, जागरूकता और रुकावटों को दूर करने में मदद करते हैं यह पूजा कोलकाता के प्रसिद्ध कालीघाट मंदिर में आयोजित की जाती है – एक ऐसा स्थान जहाँ माँ काली की शक्ति और कृष्ण की दिव्यता का गहरा संगम महसूस किया जा सकता है। जिस प्रकार काली परम पुरुष की शक्ति हैं, वैसे ही कृष्ण काल के रूप में ब्रह्माँडीय संतुलन के प्रतीक हैं। जब ये दोनों साथ होते हैं, तो उनका संयुक्त प्रभाव जीवन को गहराई से बदल सकता है एक ऐसा परिवर्तन जो कल्पना से परे होता है।
इस जन्माष्टमी पर, श्री मंदिर द्वारा आयोजित काली-कृष्ण भक्ति शक्ति उदय पूजा में शामिल हों। कृष्ण और काली की दिव्य ऊर्जा से जुड़ें और अपने जीवन को प्रेम, सुरक्षा और आध्यात्मिक शक्ति से भर लें।