🪈 जन्माष्टमी पर सहस्रनाम राधा-कृष्ण प्रेम अर्पण सेवा क्या है?
सहस्रनाम राधा-कृष्ण प्रेम अर्पण एक ख़ास अनुष्ठान है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के 1 हजार पावन नामों का जाप कर दिव्य प्रेम, आत्मिक जुड़ाव और संबंधों में मधुरता का आह्वान किया जाता है। यह साधना विशेष रूप से उन भक्तों के लिए फलदायी मानी गई है, जो प्रेम, वैवाहिक सद्भाव के साथ बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं। सहस्रनाम जाप के साथ प्रेम अर्पण का यह अनुष्ठान राधा-कृष्ण जी की दिव्य प्रेममयी ऊर्जा को आमंत्रित करता है, जिससे जीवन में सौहार्द, समर्पण और प्रेमपूर्ण संबंधों की राह आसान होती है। मान्यता है कि यह आराधना परिवार में आरोग्यता और आंतरिक प्रेम की दिशा मजबूत करने में सहायक है।
🪈 कृष्ण जन्माष्टमी की दिव्य कथा:
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था, जहां उनके मामा कंस ने उनके पिता वासुदेव और माता देवकी को बंदी बना रखा था। कंस ने भविष्यवाणी से पता चलने पर कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उसकी मृत्यु होगी, उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। जब कृष्ण जी का जन्म हुआ तो वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद और यशोदा के घर पहुंचा दिया, जहां उनका पालन-पोषण हुआ। यह दिन अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के रूप में श्रद्धा से मनाया जाता है। भक्त कन्हैया जी के स्वागत में उपवास, झूलन उत्सव, बाल रूप में शृंगार, अभिषेक और रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का उत्सव करते हैं। माखन-मिश्री भोग, रासलीला, भजन-कीर्तन और झांकी जैसे आयोजन भी जन्माष्टमी की शोभा बढ़ाते हैं। सहस्रनाम राधा-कृष्ण प्रेम अर्पण भी इनमें से एक है।
🪈 बिगड़ते रिश्तों में पाएं श्री राधा-कृष्ण का आशीर्वाद:
जन्माष्टमी के दिव्य अवसर को कृष्णमयी बनाने और रिश्तों में सामंजस्य पाने के लिए सहस्रनाम राधा-कृष्ण प्रेम अर्पण सेवा की विशेष मान्यता है। अक्सर एक ही घर में रहने वाले पति-पत्नी, एक-दूसरे से दूर होते चले जाते हैं। बातचीत तो होती है लेकिन प्रेम और सद्भाव खो जाता है। बात यहां तक बढ़ जाती है कि मान-सम्मान की सीमाएं भी याद नहीं रहतीं। ऐसे में निवारण का आशीष पाने के लिए जो युगल छवि मन में आती है, वह है श्री राधा और कृष्ण जी की, जिनके प्रेम की मिसाल पूरे ब्रह्मांड में गूंजती है। जीवन में यदि राधा और कृष्ण जैसा निश्छल प्रेम और समर्पण हो तो सद्भाव और सामंजस्य अपने आप आ जाता है। दो व्यक्ति एक हो जाते हैं और कदम से कदम मिलाकर बढ़ने से जीवन की हर राह आसान नज़र आने लगती है। जन्माष्टमी का यह अनुष्ठान ऐसे ही बिगड़ते रिश्तों को पटरी पर लाने की शक्ति है। यह आराधना इस साल का आखिरी अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें!
श्री मंदिर द्वारा आयोजित होने जा रहे सहस्रनाम राधा-कृष्ण प्रेम अर्पण सेवा में भाग लें और जीवन में रिश्तों की मधुरता और मिठास के साथ आरोग्यता का आशीष पाएं।