🙏 निर्जला एकादशी के पवित्र अवसर पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें और जीवन में चल रही बाधाओं से छुटकारा पाएं। ✨🕉️💫
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है, जो साल की सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशी मानी जाती है। इसे भीम एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि महाभारत काल में भीम ने महर्षि वेदव्यास के परामर्श से केवल इस एक व्रत को कर सभी एकादशियों का फल प्राप्त किया था। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि आती है। साथ ही यह दिन मोक्ष प्राप्ति और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
क्या आप जीवन में बार-बार परेशानियों का सामना कर रहे हैं? क्या घर में कलह या आर्थिक दिक्कतें खत्म नहीं हो रही हैं? 💰🏠
शास्त्रों में बताया गया है कि कभी-कभी इन समस्याओं का कारण पितृ दोष होता है, जो हमारे पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं या अनसुलझे कर्मों से उत्पन्न होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को रिश्तों में तनाव, पैसों की तंगी और नकारात्मक ऊर्जा का असर महसूस होता है। ऐसे में, पितृ दोष शांति महापूजा और गंगा अभिषेक को बहुत लाभकारी माना गया है। खासतौर पर काशी (वाराणसी) में की गई पितृ पूजा से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख और समृद्धि आती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गंगा अभिषेक का बहुत महत्व है।
गंगोत्री धाम की पवित्रता का वर्णन भी खास है। प्राचीन कथा के अनुसार, राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगोत्री में तप किया था, जिसके फलस्वरूप माँ गंगा धरती पर आईं। भगवान शिव ने उनके वेग को अपनी जटाओं में रोककर नियंत्रित किया। यहीं कारण है कि गंगोत्री में किया गया गंगा अभिषेक पूर्वजों की आत्मा की शुद्धि और कर्मों के बोझ को कम करने वाला माना जाता है। इसीलिए, निर्जला एकादशी के शुभ अवसर पर काशी में पितृ दोष शांति महापूजा और गंगोत्री गंगा अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है।
श्री मंदिर के माध्यम से आप भी इस विशेष अनुष्ठान में शामिल होकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और अपने जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।