🔱 आषाढ़ पूर्णिमा: पितृ शांति, दिव्य कृपा और आध्यात्मिक उन्नति का पावन अवसर 🙏
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को आध्यात्मिक जागरण और ईश्वरीय आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। विशेष रूप से आषाढ़ पूर्णिमा का दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति और पितृ दोष निवारण के लिए अद्भुत फलदायी माना जाता है। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि जब तक पितरों को मोक्ष नहीं मिलता, तब तक वंश में बाधाएं बनी रहती हैं। ऐसे में पूर्णिमा तिथि, विशेषकर आषाढ़ माह की, पितृ शांति के लिए श्रेष्ठतम मानी जाती है। इसीलिए इस पवित्र दिन पर, दिव्य नगरी काशी (वाराणसी) में पितृ दोष शांति महापूजा का आयोजन होता है। मोक्ष के द्वार के रूप में विख्यात काशी को सबसे पवित्र तीर्थों में गिना जाता है, जहाँ पितृ पूजा से अपार आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त होता है।
ऐसा कहा जाता है कि यहाँ ये अनुष्ठान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में समृद्धि एवं खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। इसके अतिरिक्त, माँ गंगा के दिव्य उद्गम स्थल गंगोत्री धाम में गंगा अभिषेक पूजा भी आयोजित की जाती है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, यहीं पर राजा भगीरथ की तपस्या से माँ गंगा पृथ्वी पर आई थीं और भगवान शिव ने अपनी जटाओं में उनकी शक्तिशाली धारा को धारण किया था। इस पवित्र तीर्थ में अभिषेक करने से पाप नष्ट होते हैं और मन को शांति मिलती है। विशेषकर आषाढ़ पूर्णिमा पर की गई पूजा और अनुष्ठान न केवल पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त करते हैं, बल्कि भगवान विष्णु और माँ गंगा की दिव्य कृपा भी प्रदान करते हैं। इन पूजाओं में भाग लेना अपने वंश के प्रति भक्ति और कृतज्ञता का पवित्र कार्य माना जाता है।
पितृ दोष शांति महापूजा और गंगोत्री धाम गंगा अभिषेक पूजा के लिए इस शुभ दिन पर श्री मंदिर के माध्यम से गंगा आरती में भाग लेकर आप भी अपने पूर्वजों की शांति की कामना कर सकते हैं और एक सामंजस्यपूर्ण तथा समृद्ध जीवन के लिए उनका आशीर्वाद पा सकते हैं।