हिंदू धर्म में यमराज और शनिदेव को न्याय के प्रमुख अधिष्ठाता माना गया है। दोनों ही देवता कर्म और धर्म के महत्व को उजागर करते हैं। देव यमराज मृत्यु के देवता हैं और कर्मों के आधार पर आत्मा को न्याय प्रदान करते हैं। वहीं, शनिदेव कर्मफल के देवता हैं, जो व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का जीवन में ही परिणाम देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव यमराज और शनिदेव दोनों ही सूर्यदेव के पुत्र है और आपस में भाई है। यही कारण है कि देव यमराज और शनिदेव की पूजा एक साथ करने से दीर्घायु, सौभाग्य और जीवन की बाधाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, और इस दिन शनि देव द्वारा शासित अनुराधा नक्षत्र भी लग रहा है। यह तिथि देव यमराज और शनिदेव दोनों की पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जा रही है। इसी विशेष अवसर पर श्री मंदिर द्वारा श्री यमुनोत्री धाम में यम दंड मुक्ति पूजा, 19,000 शनि मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है।
यम दंड मुक्ति पूजा एक विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठान है, जो यमराज (मृत्यु के देवता) के क्रोध या उनके द्वारा दी गई सजा (यम दंड) से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। यह पूजा न केवल मृत्यु से जुड़े भय को समाप्त करती है, बल्कि आत्मा को शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करती है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि मूल मंत्र का जाप अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। शनि की महादशा 19 वर्षों तक चलती है, और इस दौरान शनि के मूल मंत्र का 19,000 बार जाप करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि शनि के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने और जीवन की बाधाओं को समाप्त करने के लिए यह अनुष्ठान अत्यंत फलदायी है। हवन के माध्यम से इस जाप को पूर्ण किया जाता है, जिससे इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है।
इसलिए, इस विशेष अवसर पर श्री मंदिर द्वारा आयोजित अनुष्ठान में भाग लें और देव यमराज और शनिदेव से दीर्घायु, सौभाग्य और जीवन की चुनौतियों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।