🪔 परेशानियां आपका पीछा नहीं छोड़ रहीं? साल की आखिरी शनि अमावस्या है दुर्लभ अवसर
हिंदू कैंलेडर में सावन समापन के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। भाद्रपद महीना त्योहारों से भरपूर रहता है, जिसमें जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार भक्तों के बीच धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों के इस महीने में आराधना और अनुष्ठान भी भव्य हो जाते हैं, जिसके फल से भक्तों को जीवन में नए-नए अवसर मिलते हैं और उन्नति की दिशा मजबूत होती है। इस शनिवार साल की आखिरी शनि अमावस्या है, जो भक्तों के लिए शनिदेव की आराधना का स्वर्णिम अवसर है।
🔱 शनि पीड़ा के असर को कैसे कम करें?
सनातन धर्म में शनि देव को ‘न्याय का देवता’ कहा गया है, जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार, फल प्रदान करते हैं। जब शनि कृपा होती है तो व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति का अनुभव होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़े साती तीन चरणों में कुल साढ़े सात वर्षों तक प्रभाव डालती है, जबकि शनि की महादशा 19 वर्षों तक जीवन को प्रभावित करती है। इन कालों में व्यक्ति को मानसिक अशांति, आर्थिक समस्याएं और सामाजिक अवरोधों का सामना करना पड़ता है। इन प्रभावों को कम करने के लिए शनि तिल तेल अभिषेक, शांति हवन और विशेष मंत्र जाप अत्यंत प्रभावी माने गए हैं। उज्जैन के श्री नवग्रह मंदिर में शनिदेव को समर्पित यह विशेष पूजा इस अनुष्ठान के महत्व को कई गुना बढ़ाने की शक्ति रखती है।
शनि महादशा शांति महापूजा एक विशेष वैदिक अनुष्ठान माना गया है, जिसे शनि ग्रह के प्रतिकूल प्रभावों को शांत करने और जीवन में स्थिरता लाने के उद्देश्य से किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, शनि महादशा के दौरान व्यक्ति को मानसिक तनाव और पारिवारिक असंतुलन जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस महापूजा में वेद मंत्र, शनि बीज मंत्र, तैलाभिषेक और हवन के माध्यम से शनि देव का आह्वान किया जाता है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, बाधाएं कम होती हैं, कार्य में सफलता, आर्थिक उन्नति और मानसिक शांति के दरवाजे खुलते हैं।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लेकर शनि के उल्टे प्रभावों से राहत पा सकते हैं और जीवन में सुख, स्थिरता और सफलता का अनुभव कर सकते हैं।