😔 क्या आप अचानक आर्थिक परेशानियों और परिवार में बढ़ते तनाव का सामना कर रहे हैं? यह राहु और केतु ग्रहों की छाया हो सकती है, जो जीवन में भ्रम और रुकावटें पैदा करती है।
राहु और केतु की छाया जीवन में भ्रम और रुकावटें लाती है। इसका असर अक्सर आर्थिक स्थिति और रिश्तों की सामंजस्य पर भी पड़ता है। कई बार ऐसा होता है कि मेहनत करने के बावजूद धन का प्रवाह रुक जाता है और आपसी रिश्तों में गलतफहमियाँ और दूरियाँ बढ़ने लगती हैं। यह स्थिति चिंता और अस्थिरता बढ़ा देती है। ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु ऐसे अचानक संकट, वाद-विवाद और प्रगति में रुकावट के कारण माने जाते हैं।
नवरात्रि के पवित्र दिनों में इन ग्रहों से राहत पाने के लिए माँ कुष्मांडा की शरण ली जा सकती है। माँ कुष्मांडा सभी प्रकाश और ऊर्जा की मूल स्रोत मानी जाती हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और सब ओर अंधकार में था, तब देवी माँ ने अपनी दिव्य मुस्कान से पूरा ब्रह्मांड रचा। ऐसा भी माना जाता है कि वे सूर्य के केंद्र में निवास करती हैं और उसकी ज्योति का आधार हैं। चूँकि वे प्रकाश की रचयिता हैं, इसलिए राहु और केतु के कारण होने वाले अंधकार और भ्रम को दूर करने की शक्ति उन्हीं में ऐसा माना जात है।
नवदुर्गा राहु-केतु शांति महाअनुष्ठान इसी भावना से किया जाता है। इसमें आचार्यगण माँ कुष्मांडा के अष्टाक्षरी मंत्र का 1,00,008 बार जाप करते हैं। इसके साथ ही राहु और केतु मूल मंत्र का 11,000 बार जाप किया जाता है, ताकि इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को शांत किया जा सके। नवरात्रि के दौरान नवदुर्गा मंदिर में किया गया यह अनुष्ठान जीवन की आर्थिक बाधाओं को कम करने, मन में स्पष्टता लाने और परिवार में प्रेम व सामंजस्य का वातावरण बनाने के लिए सहायक माना जाता है।
यह विशेष महानुष्ठान श्री मंदिर के माध्यम से माँ कुष्मांडा के आशीर्वाद का आह्वान करने का अवसर है, जिसमें भक्त समृद्धि, शांति और परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना कर सकते हैं। 🙏