सनातन धर्म में शनिवार का दिन विशेष रूप से शनिदेव को समर्पित माना गया है। इस दिन की गई पूजा और साधना शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होती है। शनि देव जिन्हें ‘न्याय का देवता’ कहा जाता है। वे हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। जब उनकी कृपा मिलती है तो जीवन में स्थिरता, सफलता और मानसिक शांति आती है। लेकिन यदि उनका अशुभ प्रभाव अधिक हो जाए तो इंसान को आर्थिक कठिनाइयों, मानसिक तनाव और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती, महादशा और अशुभ ग्रह योग जीवन में कई तरह की परेशानियाँ ला सकते हैं। ऐसे समय में व्यक्ति अपनी मेहनत के बावजूद असमंजस, आर्थिक उलझन, स्वास्थ्य की दिक्कतें और मानसिक अशांति अनुभव करता है।
ऐसी स्थिति में केवल साधारण उपाय पर्याप्त नहीं होते। विशेष वैदिक अनुष्ठान और शनिदेव की कृपा बहुत आवश्यक मानी जाती है। ऐसे में तिल तेल अभिषेक, शांति हवन और मंत्र जाप इन प्रभावों को कम करने के लिए सबसे असरदार माने गए हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि तिल के तेल से अभिषेक, हवन में आहुति और शनि बीज मंत्र का जाप जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है। इस पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति, कामों में सफलता और पारिवारिक सुख मिल सकता है। इसी कारण शनिदेव की जन्मस्थली माने जाने वाले हथला शनि देव मंदिर में इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि यही वह पवित्र स्थान है जहाँ शनि देव का जन्म हुआ था। यह मंदिर साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे कष्टों से राहत पाने का पावन केंद्र माना जाता है।
🙏 आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष शनिवार पूजा में शामिल होकर शनिदेव की कृपा पा सकते हैं और अपने जीवन में स्थिरता, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।