✨ नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की कृपा से करें जीवन की बुराइयों का संहार 🌸
🌺 माँ कात्यायनी के तेजस्वी और पराक्रमी स्वरूप का आह्वान कर पाएं जीवन में नई शुभ शुरुआत आशीर्वाद 🔱
हिंदू धर्म में नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित माना गया है। छठा दिन माँ कात्यायनी को समर्पित है, जिन्हें अमोघ फलदायिनी और महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि महर्षि कात्यायन की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने उनके घर जन्म लिया, इसी कारण इन्हें कात्यायनी कहा गया। आगे चलकर यह स्वरूप महिषासुर जैसे पराक्रमी राक्षस के वध के लिए बी जाना गया। कथा है कि महिषासुर को कई वरदान प्राप्त थे, जिसके कारण देवता भी उसे परास्त नहीं कर सके। अंततः सभी देवताओं की प्रार्थना से नवदुर्गा का एक तेजस्वी रूप प्रकट हुआ और महिषासुर का संहार हुआ। तभी से इन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा गया और यह विश्वास बना कि इनकी उपासना से साधक कठिनाइयों को पार कर सकता है।
माँ कात्यायनी से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण पहलू उनका कवच और स्तोत्र है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि कात्यायनी कवच साधक को नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने वाला माना गया है। इसी प्रकार, महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ देवी के पराक्रम और उनके दिव्य स्वरूप का स्मरण कराता है। जब इनका पाठ हवन के साथ किया जाता है, तो साधना और भी पूर्ण मानी जाती है। इसीलिए नवरात्रि के छठे दिन मथुरा स्थित माँ कात्यायनी शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है, क्योंकि पौराणिक मान्यता है कि यहाँ माँ सती के बाल गिरे थे। इस कारण यह मंदिर आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
आप भी इस पवित्र स्थल पर आयोजित माँ कात्यायनी महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र पाठ, कवच और हवन अनुष्ठान से जुड़कर देवी के दिव्य स्वरूप का स्मरण कर सकते हैं और अपनी नवरात्रि साधना को और भी सशक्त बना सकते हैं। इसके साथ ही, नवरात्रि में नव चंडी हवन का विशेष महत्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की सामूहिक आराधना की जाती है। परंपरा है कि इस हवन से साधक अपने जीवन में आंतरिक शक्ति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान से जुड़कर अपने जीवन को देवी की रौशनी और आशीर्वाद से प्रकाशित कर सकते हैं। इस पावन अवसर को हाथ से जाने न दें।