हिंदू धर्म में नवरात्रि की नवमी पर मां दुर्गा के शक्तिशाली रूप, मां चंडी की पूजा और हवन का बड़ा महत्व है। यह हवन विशेष रूप से बुरी शक्तियों का नाश करने, मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस हवन में देवी चंडी के अतुलनीय नामों का उच्चारण किया जाता है, जो भक्तों को आशीर्वाद और सिद्धि प्रदान कर सकते हैं। नवमी के दिन इस हवन से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर हो सकती हैं और विजय की प्राप्ति संभव है। साथ ही, यह पूजा नकारात्मकता और एक के बाद एक आ रही बाधाओं के खिलाफ दैवीय ढाल का आशीष दे सकती है।
🪔 इस नवमी पर 3 शक्तिपीठों में एक साथ 33 हजार मां दुर्गा नाम जाप और दुर्गा-चंडी हवन होगा:
🌿मां शक्तिपीठ कालीघाट: यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था, जब भगवान शिव उन्हें लेकर तांडव कर रहे थे।
🌿 मां कात्यायनी शक्तिपीठ: मां कात्यायनी शक्तिपीठ, वृंदावन (मथुरा) में है और यह देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के केश गिरे थे।
🌿 माँ ललिता देवी शक्तिपीठ: प्रयागराज स्थित यह दिव्य धाम मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। यहाँ देवी की तीन रूपों में पूजा की जाती है। यह मंदिर त्रिवेणी संगम के पास है, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। कथा के अनुसार, माँ ललिता देवी वहीं प्रकट हुई थीं, जहाँ सती के हाथ की उँगली गिरी थी।
33 हजार मां दुर्गा नाम जाप और दुर्गा-चंडी हवन:
33 हजार मां दुर्गा नाम जाप और दुर्गा-चंडी हवन का आयोजन विशेष रूप से नवरात्रि की नवमी पर बेहद फलदायी माना गया है। इस हवन में मां दुर्गा के 33 हजार नामों का जाप किया जाता है, जिससे भक्तों को शक्ति, साहस और समृद्धि की दिशा मिल सकती है। साथ ही, दुर्गा-चंडी हवन में मां दुर्गा और मां चंडी की पूजा से बुरी शक्तियों का नाश होता है, और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से राहत का मार्ग मिलता है। यह हवन मानसिक शांति, विजय और आशीर्वाद की प्राप्ति का एक शक्तिशाली माध्यम है, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है।
🧿 यह पावन नवमी महाहवन, श्री मंदिर के माध्यम से 3 महान शक्तिपीठों के दिव्य आशीर्वाद को आपके जीवन तक लाने की शक्ति रखता है