परिवार के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए श्राद्ध चतुर्दशी विशेष पितृ दोष शांति महापूजा एवं गंगा दूध अभिषेक
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श्राद्ध चतुर्दशी विशेष

पितृ दोष शांति महापूजा एवं गंगा दूध अभिषेक

परिवार के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए
temple venue
अस्सी घाट, गंगा घाट, काशी, हरिद्वार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड
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परिवार के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए श्राद्ध चतुर्दशी विशेष पितृ दोष शांति महापूजा एवं गंगा दूध अभिषेक

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह समय पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए किए जाने वाले सभी अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष की हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, जिसमें से चतुर्दशी तिथि एक है। इसे श्राद्ध चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु हिंदु पंचांग के अनुसार, किसी भी मास की चतुर्दशी तिथि पर हुई हो। पितृ पक्ष का समय पितृ दोष के निवारण के लिए भी शुभ माना जाता है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक के जीवन में आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। माना जाता है कि पितृ दोष शांति महापूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में पितृ दोष शांति महापूजा के साथ गंगा दूध अभिषेक करना भी लाभदायक बताया गया है। माना जाता है कि पितृ दोष शांति महापूजा के साथ गंगा दूध अभिषेक करने से परिवार के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

यदि यह दोनों अनुष्ठान किसी धार्मिक स्थल में किये जाए तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से मोक्ष नगरी काशी का अस्सी घाट एवं हरिद्वार का गंगा घाट काफी महत्वपूर्ण है। काशी का अस्सी घाट पितृ कर्मकांड के लिए पूजनीय स्थल हैं। माना जाता है कि काशी के अस्सी घाट पर पितृ दोष शांति महापूजा एवं हरिद्वार के गंगा घाट पर गंगा दूध अभिषेक करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए पितृ पक्ष की श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर काशी के अस्सी घाट पर पितृ दोष शांति महापूजा एवं हरिद्वार के गंगा घाट पर गंगा दूध अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लें और अपने पूर्वजों के साथ मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं।

अस्सी घाट, गंगा घाट, काशी, हरिद्वार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड

अस्सी घाट, गंगा घाट, काशी, हरिद्वार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड
काशी शहर जिसे बनारस और वाराणसी के नाम से जाना जाता है। यह शहर मां गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। इस शहर को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। काशी को दुनिया का सबसे पुराना शहर माना जाता है। इस शहर के 84 गंगा घाट इस शहर के धार्मिक महत्व को और ज्यादा बढ़ाते हैं। देश-विदेश से लोग यहां गंगा स्नान करने करने आते हैं। माना जाता है कि शुभ समय या धार्मिक महत्व के विशेष दिनों में गंगा में पवित्र डुबकी लगाने से अपार आशीर्वाद मिलता है और आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस पवित्र स्थान पर नारायण बलि पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और आत्माओं को मुक्ति मिलती है।

पूरे विश्व में हरिद्वार, एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, इसे कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महाकुंभ के दौरान हजारों लाखों की संख्या में देश-विदेश से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। वहीं, हरिद्वार में कुछ प्राचीन घाट भी हैं जिनकी मान्यता प्राचीन ग्रंथों में भी लिखी हुई है। शास्त्रों में नारायण बलि का मुख्य उद्देश्य पितृदोष निवारण करना और नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना बताया गया है। श्री गंगा घाट पर इस पूजा को करने से पितृ दोष का निवारण होता है।

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