🌟 सावन के आखिरी गुरुवार को भगवान नारायण और माँ बगलामुखी से कानूनी विजय और विवादों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें 🌟
सनातन धर्म में सावन का महीना भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा पाने का सबसे पवित्र समय माना जाता है। सावन का आखिरी गुरुवार खास इसलिए भी होता है क्योंकि ये दिन भगवान विष्णु (नारायण) को समर्पित होता है। इस दिन की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा, सुरक्षा और मनोबल पाने का अवसर मिलता है। इस खास दिन पर होने वाला नारायण-बगलामुखी महापाठ संयुक्त यज्ञ भगवान विष्णु और न्याय की देवी माँ बगलामुखी दोनों का आह्वान करता है। गुरुवार की शुभता और सावन की पवित्रता मिलकर इस अनुष्ठान को और भी असरदार बनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन ये पूजा करने से साहस, आत्मविश्वास और स्थिरता मिलती है, जो कानूनी मामलों, विवादों और दुश्मनों से निपटने में सहायक होती है।
🔱 दिव्य संबंध: नारायण और माँ बगलामुखी
इस दिव्य संबंध की जड़ें हमारे प्राचीन शास्त्रों में मिलती हैं। कथा के अनुसार, सतयुग में मदन नाम का एक असुर था, जिसे ब्रह्मा जी से अजेय होने का वरदान मिला। उसने तीनों लोकों में उत्पात मचाया। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने बताया कि उस असुर को हराने के लिए माँ बगलामुखी की शक्ति की जरूरत है। भगवान विष्णु की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ बगलामुखी प्रकट हुईं और मदन असुर को पराजित किया। तभी से उन्हें विजय और शत्रु नाश की देवी माना जाता है। वे दस महाविद्याओं में से एक हैं और उन्हें पीले वस्त्रों में पूजने की परंपरा है, इसलिए उन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि माँ बगलामुखी के 36,000 पीताम्बरी मंत्रों का जाप और नारायण सुदर्शन कवच यज्ञ करने से भक्तों को आत्मबल, नियंत्रण और कानूनी मामलों में सहायता मिलती है। इससे नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है और रास्ते की बाधाएं दूर होती हैं। सावन का आखिरी गुरुवार वो समय होता है जब आध्यात्मिक ऊर्जा बहुत शक्तिशाली होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माँ बगलामुखी का संयुक्त आह्वान करने से पूजा का प्रभाव और भी गहरा हो जाता है।
मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर और हरिद्वार के सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर में होने वाले इस विशेष अनुष्ठान में श्री मंदिर के माध्यम से शामिल होकर भक्त भगवान विष्णु और माँ बगलामुखी से न्याय, शांति और कानूनी मामलों में राहत का अनुभव कर सकते हैं।