🕉️ श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक और नर्मदा के पवित्र जल से तर्पण कर भगवान शिव के आह्वान से दिवंगत आत्माओं की शांति की कामना करें। 🌊 🔱
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस समय पितरों की आत्माएँ धरती पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण एवं श्राद्ध की अपेक्षा रखती हैं। परिवारजन जब श्राद्ध और तर्पण करते हैं, तो उनकी आत्माओं को तृप्ति मिलती है और बदले में वे आशीर्वाद देकर वंशजों के जीवन में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इन्हीं दिनों में भगवान शिव की उपासना का महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान शिव को मोक्षदाता कहा गया है। वे ही वह शक्ति हैं जो जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाते हैं। पुराणों में उल्लेख है कि जो भक्त शिवलिंग पर जल, दूध और मंत्रों से रुद्राभिषेक करता है, उसके पाप नष्ट होते हैं और पितरों को मोक्ष की दिशा मिलती है।
यही कारण है कि पितृ पक्ष में शिव की आराधना को विशेष फलदायी बताया गया है। इसी संदर्भ में इस वर्ष ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक एवं नर्मदा पितृ तर्पणम् का आयोजन किया जा रहा है। ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी के बीच स्थित पवित्र द्वीप पर अवस्थित है और यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि यहां किया गया रुद्राभिषेक केवल साधक को ही नहीं, बल्कि उसके पूर्वजों की आत्माओं को भी शांति और मुक्ति की ओर अग्रसर करता है। लेकिन केवल रुद्राभिषेक ही नहीं, इसके साथ नर्मदा नदी में पितृ तर्पण भी संपन्न होगा। नर्मदा को आदिकाल से ही मोक्षदायिनी कहा गया है। मान्यता है कि नर्मदा में किया गया तर्पण सीधा पितरों तक पहुँचता है। जब जल के माध्यम से अन्न और तिल अर्पित किए जाते हैं, तो वह आहुति पितरों को संतोष प्रदान करने में मदद करती है और परिवार से जुड़ी बाधाएँ धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।
🙏 आप भी इस पावन अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा का भाग बन सकते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति तथा घर-परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।