🛕 शनि अमावस्या पर त्रिशक्ति कष्ट निवारण पूजा और यज्ञ की शक्ति का अनुभव करें
अमावस्या वह विशेष दिन है, जब नकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है और इस दिन रक्षात्मक शक्ति देने वाले देवताओं की पूजा शुभ मानी गई है। जब अमावस्या शनिवार को आती है, तो उसे शनि अमावस्या कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शनि का पूजन किया जाता है और शनि अमावस्या पर किए गए अनुष्ठान विशेष फलदायक माने जाते हैं। 2025 की आखिरी शनि अमावस्या एक अद्भुत धार्मिक अवसर है, जो त्रिदेव – श्री काल भैरव, माँ बगलामुखी, और वीर हनुमान की संयुक्त पूजा का स्वर्णिम अवसर लेकर आई है।
भगवान शनि का पूजन शनि अमावस्या पर विशेष महत्व रखता है, क्योंकि शनि कर्मों के फलदाता माने जाते हैं। शनि का आशीर्वाद प्राप्त करने से न केवल व्यक्ति के पुराने कर्मों के फल बदल सकते हैं, बल्कि वह अपने कष्टों और समस्याओं से भी उबर सकता है। इस दिन शनि की विशेष पूजा से भक्तों को जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
🛕 माँ बगलामुखी की पूजा इस दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें मां दुर्गा का शक्तिशाली रूप माना गया है और उनकी पूजा विघ्नों से राहत और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए की जाती है। माँ बगलामुखी की पूजा से न केवल मानसिक और शारीरिक कष्टों का निवारण होता है, बल्कि शत्रुओं का सामना करने के लिए साहस का आशीष मिलता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान राम और पांडवों ने भी माँ बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिससे सभी समस्याओं का समाधान संभव है।
वहीं, श्री काल भैरव की पूजा इस दिन विशेष रूप से प्रभावशाली मानी गई है, क्योंकि वे समय के देवता और शिव जी के उग्र रूप हैं। उनके आशीर्वाद से भय, चिंता और नकारात्मक शक्तियों का नाश शुरू हो जाता है, जिससे जीवन में समृद्धि और ऊर्जा बढ़ती है। इस शनि अमावस्या पर उज्जैन स्थित माँ बगलामुखी मंदिर में इन तीन शक्तियों की संयुक्त पूजा आयोजित की जाएगी, जो भक्तों को सुरक्षा, समृद्धि और खुशहाली दे सकती है।
श्री मंदिर द्वारा इस त्रिशक्ति अनुष्ठान में भाग लेकर आप मां बगलामुखी, काल भैरव और हनुमान जी से जीवन में सुरक्षा और समृद्धि का आशीष पा सकते हैं।