🛕 पंच तीर्थों की महिमा का पुण्यफल पाएँ एक ही संयुक्त पूजन के माध्यम से 🙏✨
सनातन धर्म में पितृ पक्ष का अत्यंत महत्व माना गया है। यह वह पावन काल है जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्रद्धापूर्वक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। शास्त्रों में वर्णन है कि इस अवधि में पितृ, पितृलोक से धरती पर आते हैं ताकि अपने वंशजों से श्रद्धा और अर्पण स्वीकार कर सकें। पितृ पक्ष की प्रत्येक तिथि का अपना विशिष्ट महत्व है, किंतु पितृ पक्ष की एकादशी को अत्यंत फलदायिनी और पुण्यदायिनी माना गया है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों को संतोष और तृप्ति मिलती है तथा उनकी आत्मा मोक्ष की ओर अग्रसर होती है।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि यदि इस अवधि में श्राद्ध न किए जाएं तो परिवार में आर्थिक तंगी, संतान की प्रगति में रुकावट और मानसिक अशांति जैसी बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। वहीं, उचित समय पर किए गए पितृ शांति अनुष्ठान इन सभी कष्टों को दूर करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक होते हैं। इसी उद्देश्य से, इस पावन अवसर पर श्री मंदिर द्वारा पितृ पक्ष की एकादशी पर पंच तीर्थ पितृ दोष शांति पंच तीर्थ महापूजा एवं गंगा आरती का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष अनुष्ठान के लिए पाँच प्रमुख मोक्षस्थलों का चयन किया गया है, जहाँ एक साथ दिव्य पूजन सम्पन्न होंगे।
🛕 धर्मारण्य वेदी, गया – विष्णु पुराण में वर्णित, यहाँ श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🛕 गोकर्ण क्षेत्र, कर्नाटक – स्कंद पुराण के अनुसार यहाँ किए गए श्राद्ध से पितरों की अपूर्ण इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और आत्मा को मुक्ति मिलती है।
🛕 गंगोत्री धाम, उत्तरकाशी– मान्यता है कि यहाँ तर्पण और विशेष आरती करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता हैं।
🛕 रामेश्वरम घाट, तमिलनाडु – जहाँ भगवान श्रीराम ने स्वयं पितृ तर्पण किया था, इसलिए यह स्थान पितृ शांति के लिए अत्यंत शुभ और सिद्ध माना जाता है।
🛕 पिशाच मोचन कुंड, काशी – यहाँ किए गए अनुष्ठान पितरों को पापबंधन से मुक्त कर ऊँचे लोकों की ओर प्रस्थान का मार्ग देते हैं।
मान्यता है कि श्रद्धा और विधिपूर्वक किया गया यह अनुष्ठान पितरों की आत्मा को शांति देता है, परिवार में समृद्धि लाता है और जीवन में सुख-शांति की भावना स्थापित करता है।
🙏 पितृ पक्ष की एकादशी का यह दुर्लभ अवसर आपके पितरों की तृप्ति के साथ-साथ घर-परिवार में सुख और समृद्धि का द्वार खोल सकता है।
इसी के साथ यदि आपको अपने किसी दिवंगत-पूर्वज की तिथि याद नहीं तो महालया (सर्वपितृ) अमावस्या पर हो रहे अनुष्ठानों में भाग लेकर पुण्य के भागी बनें।