🌑 राहु गोचर अलर्ट: मानसिक भ्रम, असफलताओं और ऊर्जा में बदलाव का समय
🌌 जानें श्रापित दोष के पीछे की सच्चाई और आपके जीवन पर इसके प्रभाव 🌟
18 मई 2025 को राहु मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। यह एक दुर्लभ और शक्तिशाली गोचर है, जिसे वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के बदलाव से भावनात्मक तनाव, पुराने कर्मों की उलझन और मानसिक भ्रम बढ़ सकते हैं, खासकर उनके लिए जो पिछले जीवन के अधूरे कर्मों से अब भी प्रभावित हैं। यह समय व्यक्ति के सोचने की स्पष्टता, स्वास्थ्य और जीवन की तरक्की को प्रभावित कर सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह हमारे जीवन में खास भूमिका निभाता है। अगर ग्रह मजबूत हो तो वह तरक्की और सफलता देता है, लेकिन अगर वह कमजोर या अशुभ हो जाए, तो परेशानियाँ और रुकावटें बढ़ जाती हैं। कई बार ग्रहों का मेल ऐसा होता है जो एक साथ अच्छे और बुरे दोनों असर डालता है। ठीक राहु और शनि भी ऐसे ही सबसे प्रभावशाली और गंभीर ग्रह माने जाते हैं। जब ये दोनों एक साथ आते हैं, तो एक विशेष दोष बनता है जिसे श्रापित योग कहा जाता है। इस योग के कारण जीवन में बार-बार समस्याएँ आती हैं, भावनात्मक तौर पर अस्थिरता रहती है, और सफलता बहुत दूर नजर आती है। राहु सोचने-समझने की शक्ति को भ्रमित करता है, जिससे सही फैसले नहीं हो पाते।
वहीं शनि जीवन में रुकावटें और दूरी पैदा करता है। दोनों मिलकर जीवन में तनाव, देरी, अकेलापन और अस्थिरता ला सकते हैं। इसका असर करियर, पारिवारिक जीवन और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। मान्यता है कि श्रापित योग पुराने जन्म के बुरे कर्मों की वजह से बनता है, और अगर इसका समाधान न किया जाए तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ सकता है। ऐसे में राहु के इस गोचर काल में श्रापित दोष शांति हवन, तिल-तेल से अभिषेक और राहु शांति पूजा करना बहुत लाभकारी माना जाता है। ये उपाय जीवन की पुरानी रुकावटों को दूर करने और राहु-शनि के बुरे असर को शांत करने में मदद करते हैं। इसीलिए, श्री मंदिर उज्जैन के नवग्रह शनि मंदिर में विशेष राहु गोचर पूजा, तिल-तेल अभिषेक और शांति हवन का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष पूजा में शामिल होकर आप अपने जीवन की समस्याओं को शांत कर सकते हैं और कर्मों के उलझे हुए जाल से बाहर निकल सकते हैं।