✨ श्राद्ध पूर्णिमा पर घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया गया पितृ महायज्ञ बन सकता है पितरों की मुक्ति और जीवन की समृद्धि का सर्वोच्च मार्ग✨
श्राद्ध पूर्णिमा का दिन पितरों की शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और यज्ञ सीधा पितृलोक तक पहुँचता है और पितरों को संतुष्टि प्रदान करता है। जब पितर तृप्त और प्रसन्न होते हैं तो वे अपनी संतान और वंशजों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। वहीं यदि पितर अशांत रहें या पितृ दोष हो तो व्यक्ति के जीवन में बार-बार रुकावटें, आर्थिक कठिनाइयाँ, मानसिक तनाव और संबंधों में अशांति बनी रहती है। इन्हीं पितृ दोषों से मुक्ति और पितरों को परम शांति देने के लिए घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पितृ मुक्ति एवं मोक्ष महायज्ञ का आयोजन किया जाता है।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अंतिम और पूजनीय यह धाम भगवान शिव का विशेष स्थान है, जहाँ वे घृष्णेश्वर रूप में प्रकट होकर जीवात्माओं को बंधनों से मुक्त करते हैं। माना जाता है कि यहाँ किया गया पितृ कार्य अन्य किसी भी स्थान से कई गुना फलदायी होता है। इस महायज्ञ की विधि वैदिक आचार्यों द्वारा की जाती है। सबसे पहले भगवान शिव का आह्वान कर पवित्र अग्नि प्रज्वलित की जाती है। उसके बाद वेद मंत्रों के साथ आहुति, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। अग्नि में दी गई हर आहुति पितरों तक पहुँचकर उन्हें शांति प्रदान करती है। इस यज्ञ का प्रभाव साधक के जीवन में तुरंत अनुभव होता है, जैसे मानसिक बोझ हल्का होना, घर-परिवार में सामंजस्य आना और कार्यों में सुगमता प्राप्त होना।
यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपने पितरों की आत्मा को मोक्ष दिलाना चाहते हैं और जीवन से पितृ दोष का असर समाप्त करना चाहते हैं। पितृ कृपा से जीवन में नए अवसर, संतुलन और सकारात्मकता का मार्ग खुलता है।
✨ इस श्राद्ध पूर्णिमा पर श्री मंदिर के माध्यम से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पितृ मुक्ति एवं मोक्ष महायज्ञ में सम्मिलित होकर अपने पितरों को तृप्त करें। भगवान शिव की कृपा से अपने जीवन को शांति, समृद्धि और पितृ आशीर्वाद से पूर्ण बनाएं।