🌸हिंदू शास्त्रों के अनुसार, अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है, सतयुग की शुरुआत का प्रतीक है जो सच्चाई और धर्म का युग था। यह दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, और देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले पड़ता है। माना जाता है कि अक्षय नवमी पर किए गए दान, पूजा या भक्ति के कार्य अक्षय यानी अनंत और स्थायी हो जाते हैं। यह दिन आंवले के पवित्र पेड़ की पूजा से भी जुड़ा हुआ है, मान्यताओं के अनुसार इस पेड़ माँ लक्ष्मी निवास करती हैं और स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली प्रदान करती हैं। जब अक्षय नवमी शुक्रवार के दिन पड़ती है, जो माँ लक्ष्मी के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन धन और भाग्य की कृपा और भी बढ़ जाती है, और यह स्थायी समृद्धि और ईश्वरीय आशीर्वाद पाने का उत्तम समय बन जाता है। 🌸
अक्षय नवमी पर मिलने वाली यह अनंत समृद्धि और खुशहाली के रक्षक हैं भगवान कुबेर, जो स्वर्ग के धन के दाता हैं। समृद्धि के संरक्षक के रूप में उनको यह स्थान भगवान शिव की गहरी भक्ति के कारण मिला, जिन्होंने उन्हें पूरे ब्रह्मांड के धन की देखभाल करने का आशीर्वाद दिया। लेकिन जैसे धन को निष्कलंक तरीक़े से कमाना आवश्यक है, वैसे ही इसे नकारात्मक शक्तियों और अनदेखी ऊर्जा से सुरक्षित रखना भी ज़रूरी है। यही वह जगह है जहाँ भगवान बटुक भैरव की दिव्य शक्ति काम आती है यह भगवान शिव का कठोर पर दयालु रूप हैं, जो आपके परिवार की संपत्ति की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करता है। 🌸
इस अक्षय नवमी, पवित्र एत्तेलुथुपेरुमल मंदिर में, आपके लिए एक विशेष पूजा आयोजित की जा रही है, जो इन सभी दिव्य शक्तियों को जोड़ती है। 11,000 कुबेर मंत्रों का जाप करने से भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त होगी और नए वित्तीय अवसर खुलेंगे। बटुक भैरव कवच पाठ आपके परिवार के धन और संपत्ति के चारों ओर एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाएगा। अंत में, श्री सूक्त हवन, माँ लक्ष्मी को उनके विशेष दिन पर अर्पित, आपके घर को सकारात्मक ऊर्जा, खुशी और स्थायी समृद्धि से भर देगा। यह अनुष्ठान कमाई और धन की सुरक्षा दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है।
इस विशेष अक्षय नवमी पूजा में आप श्री मंदिर के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपने जीवन में स्थायी धन और सुरक्षा का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। 🌸