अगर आपका जन्म 1, 10, 19 या 28 तारीख को हुआ है तो आपका मूलांक 1 है। इसका अर्थ है कि आप सूर्यदेव की तेजस्वी ऊर्जा से प्रभावित हैं। सूर्यदेव नेतृत्व, आत्मविश्वास और स्पष्ट सोच के प्रतीक माने जाते हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति में आगे बढ़ने की इच्छा, ज़िम्मेदारी निभाने की आदत और दूसरों का मार्गदर्शन करने की क्षमता स्वाभाविक रूप से आती है। मूलांक 1 वाले लोग अक्सर बिना कहे ज़िम्मेदारी उठा लेते हैं और दूसरों का सहारा बनते हैं। लेकिन कभी-कभी यही तेज उन्हें थका देता है। बाहर से ये मज़बूत दिखते हैं, पर भीतर बेचैनी, तनाव और अकेलापन बना रहता है। हर समय कर्तव्य निभाते-निभाते वे अपनी शांति से दूर हो जाते हैं।
ऐसे समय में भगवान शिव, अपने रुद्र रूप में, इस तेज को संतुलन और स्थिरता में बदलते हैं। वे ऊर्जा को दबाते नहीं, बल्कि उसे संयम और सही दिशा देते हैं। इसी कारण इस पूजा में सूर्यदेव से प्रेरणा और रोशनी तथा भगवान रुद्र से धैर्य और शांति का आशीर्वाद लिया जाता है। ‘सूर्य–रुद्र तेजस संकल्प अनुष्ठान’ खासकर उन लोगों के लिए है जो लगातार मेहनत करते हुए थक चुके हैं, पर रुकना नहीं जानते। यह अनुष्ठान आपकी थकी हुई ऊर्जा को फिर से जगाता है, लेकिन इस बार शांति और उद्देश्य के साथ। इसमें आपका अपना संकल्प पूजा का मुख्य भाग बनता है, जिससे यह केवल एक कर्मकांड नहीं बल्कि आपके मन की सच्ची ज़रूरत पूरी करने वाला साधन बन जाता है।
इस अनुष्ठान में सूर्यदेव को अर्घ्य, भगवान रुद्र को जलाभिषेक और वैदिक मंत्रों का पाठ किया जाता है। माना जाता है कि इससे कार्यस्थल की कठिनाइयाँ, आत्मविश्वास की कमी और रिश्तों की उलझन धीरे-धीरे शांत होने लगती है। यदि आप लंबे समय से बिना रुके आगे बढ़ रहे हैं लेकिन भीतर से थक चुके हैं, तो यह पूजा आपके लिए एक विराम है। श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में शामिल होकर आप अपनी ऊर्जा को फिर से जाग्रत कर सकते हैं और जीवन में स्थिरता, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।