कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी, जो इस वर्ष 1 नवम्बर को है, को श्री खाटू श्याम जी के प्रकटोत्सव (अवतरण दिवस) के रूप में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन बाबा श्याम ने कलियुग में अवतरित होकर यह संकल्प लिया कि वे सदैव भक्तों के दुःख हरेंगे और निराश मनुष्यों के जीवन में आशा का प्रकाश भरेंगे। इस दिन यदि कोई भक्त श्याम नाम का जप, सेवा, या पूजन करता है, तो बाबा श्याम की कृपा से उसे आत्मिक शक्ति, सौभाग्य, और नई दिशा प्राप्त होती है। यह पर्व उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखता है जो जीवन के संघर्षों से थक चुके हैं क्योंकि बाबा श्याम सिखाते हैं कि जब सब राहें बंद दिखें, तब भक्ति ही सबसे बड़ा सहारा होती है।
🌼 चुलकाना धाम में विशेष अनुष्ठान — श्रद्धा का उत्सव
इस शुभ अवसर पर हरियाणा के चुलकाना धाम में भक्तों द्वारा एक विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 11 हजार खाटू श्याम ध्यान मंत्र जाप, खाटू श्याम अष्टक पाठ, और आरती संपन्न की जाएगी। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण का वह क्षण है, जब भक्त अपने मन के बोझ और इच्छाओं को बाबा श्याम के चरणों में अर्पित करते हैं। खाटू श्याम अष्टक में उनके स्वरूप, करुणा और शक्ति का दिव्य वर्णन मिलता है। इस पाठ के माध्यम से मन को स्थिरता और जीवन को संतुलन प्राप्त होता है। जो साधक 11 हजार ध्यान मंत्र का जप करते हैं, वे अपने भीतर एक नई ऊर्जा और आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
🌙 खाटू श्याम कथा — त्याग और करुणा का प्रतीक
महाभारत युद्ध से पहले बर्बरीक ने प्रतिज्ञा ली थी कि वे सदैव कमजोर पक्ष का साथ देंगे। जब श्रीकृष्ण ने यह जाना कि इस नियम से धर्म की रक्षा कठिन होगी, तो उन्होंने साधु के रूप में बर्बरीक से शीश दान मांगा। बर्बरीक ने मुस्कुराते हुए अपना शीश अर्पित कर दिया। इस अद्भुत बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलियुग में वे ‘श्याम’ नाम से पूजे जाएंगे और जो जीवन में हार चुके हैं, उनके सच्चे सहायक बनेंगे।
✨ बाबा श्याम की कृपा का अनुभव करें
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस खाटू श्याम प्रकटोत्सव में श्रद्धा और भक्ति से सम्मिलित होकर, बाबा श्याम की कृपा और शांति का अनुभव कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो सच्चे मन से उनकी शरण में आता है, बाबा श्याम सदैव उसके साथ खड़े रहते हैं — क्योंकि वे वास्तव में हारे हुए का सहारा और विश्वास का आधार हैं।