व्यापार का मार्ग कई बार ऐसा मोड़ ले लेता है जहाँ व्यक्ति खुद को अकेला, दबाव में और अनिश्चित परिस्थिति में खड़ा पाता है। कभी बाज़ार की गति धीमी हो जाती है, कभी योजनाएँ रुकी हुई लगती हैं और कभी मन भारी हो जाता है। ऐसी स्थितियों में भक्त परंपरा के अनुसार भगवान खाटू श्याम जी का स्मरण करते हैं और मानते हैं कि उनका नाम मन को वह आंतरिक शक्ति देता है जिससे व्यक्ति परिस्थितियों को अधिक शांत मन से देख पाता है। श्याम जी को हार का सहारा कहा जाता है और यही भाव लोगों को कठिन समय में भी टिके रहने की प्रेरणा देता है। जब व्यक्ति भाव से उनके आगे झुकता है, तब मन में एक सहज स्वीकार्यता और धैर्य विकसित होता है, जो व्यापारिक जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
इसी भावना के साथ रविवार को आयोजित होने वाला खाटू श्याम व्यापार रक्षा कवच, पूजा का वह रूप है जिसमें भक्त अपनी श्रद्धा, विश्वास और कार्य के प्रति समर्पण को एक प्रवाह में जोड़ते हैं। इस अनुष्ठान में माता लक्ष्मी का ध्यान भी शामिल होता है। परंपराओं में ऐसा माना जाता है कि माँ लक्ष्मी का स्मरण मन के भीतर शांति और व्यवस्थितता लाता है। उद्योग लक्ष्मी वंदना के दौरान मन केवल एक भाव से भरा रहता है कि कार्य सुचारु रहे, विचार स्पष्ट रहें और निर्णय सौम्यता से किए जा सकें। यह पूजा किसी भी प्रकार का फल देने का वादा नहीं करती बल्कि व्यक्ति की आंतरिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने के भाव पर केंद्रित रहती है।
वहीं तिलक श्रृंगार सेवा में जब भगवान खाटू श्याम जी की प्रतिमा को सुगंधित वस्तुओं और शुभ सामग्रियों से सजाया जाता है, तो कई भक्तों के मन में एक ऐसी भावनात्मक लहर उठती है जिसे शब्दों में बाँधना कठिन है। ऐसा माना जाता है कि यह सेवा मन के भीतर जमा हुई भारी ऊर्जा को हल्का करने में मदद करती है। भक्त इस सेवा के माध्यम से अपने व्यापारिक प्रयासों को भक्ति की एक शांत लय से जोड़ सकते हैं, जिससे भीतर एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित होता है।
इस दिव्य अनुष्ठान का आयोजन उज्जैन स्थित बाबा श्याम मंदिर में किया जा रहा है। जहाँ का वातावरण और शांति का दिव्य स्पर्श कई भक्तों को ऐसा अनुभव देता है कि वे कुछ क्षणों के लिए अपनी चिंताओं से राहत पाकर केवल भक्ति के प्रवाह में डूब जाते हैं। इस रविवार खाटू श्याम व्यापार रक्षा कवच में सम्मिलित होना उन लोगों के लिए एक भावनात्मक जुड़ाव का माध्यम बन सकता है जो अपने कार्य, अपने प्रयास और अपनी भक्ति को एक ही धारा में बहते हुए महसूस करना चाहते हैं, तो देर न करें श्री मंदिर के माध्यम से आज ही भाग लें।