🍃 खर मास, जिसे मल मास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं, वह अतिरिक्त चंद्र मास है, जो लगभग हर 3 वर्ष में पड़ता है। जब सूर्य किसी भी राशि में अपना संक्रांति परिवर्तन नहीं करता, तब यह अतिरिक्त महीना जुड़ जाता है। सनातन धर्म में यह साधना, दान, जप और आत्मशुद्धि का समय माना गया है। कहते हैं कि भगवान विष्णु इस मास के अधिष्ठाता हैं, इसलिए प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में 30 दिन का महानुष्ठान होने जा रहा है। इसमें विद्वान पुरोहितों द्वारा हर दिन 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ और आदित्य ह्रदय स्तोत्र पाठ संपन्न किया जाएगा। मान्यता है कि इस महापूजा से पूरे परिवार को खुशहाली और बेहतर स्वास्थ्य की सही दिशा मिल सकती है।
🍃 एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब यह अतिरिक्त महीना अपने अमंगल स्वभाव के कारण किसी देवता द्वारा स्वीकार नहीं किया गया, तब वह दुखी होकर भगवान विष्णु के शरण में पहुंचा। विष्णु जी ने करुणा दिखाते हुए इसे अपना रूप प्रदान किया और इसे ‘पुरुषोत्तम’ नाम दिया। तभी से यह 30 दिन जप, तप, दान, विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ और सत्संग के लिए श्रेष्ठ माने जाने लगे। मान्यता है कि इन दिनों की साधना पिछले दोष दूर कर सौभाग्य, मन-शांति और आध्यात्मिक उन्नति के दरवाजे खोल सकती है।
🍃 खर मास के 30 दिन विशेष आध्यात्मिक साधना के लिए फलदायी माने गए हैं। इसी महत्व के साथ श्री मंदिर द्वारा प्रयागराज के त्रिवेणी तीर्थ में हर दिन 11 बार विष्णु सहस्रनाम का पाठ होगा। सहस्रनाम का जप चित्त को स्थिर करता है और जीवन में संरक्षक ऊर्जा का संचार करता है। इसके साथ ही प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य देव की तेजस्विता, साहस, निर्णय-शक्ति और स्वास्थ्य की ऊर्जा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र मनोबल बढ़ाता है, बाधाओं का नाश करता है और निराशा को दूर कर उत्साह की प्रेरणा देता है।
🍃 इन दोनों पाठों के संयोजन से 30 दिनों में एक शक्तिशाली आध्यात्मिक व्रत पूर्ण होता है, जो जीवन में खुशहाली और बेहतर स्वास्थ्य आकर्षित करता है। विद्वान मानते हैं कि खर मास की यह साधना जब गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के ‘संगम स्थल’ पर संपन्न होती है तो फल कई गुना बढ़ जाता है।