🪷 नवरात्रि महा अष्टमी पर 3 शक्तिपीठ विशेष महापूजा आपकी भावनात्मक थकान को दूर कर आंतरिक भय से निपटने का साहस और स्पष्ता दे सकती है!
आज के समय में तनाव और उलझनें सभी के जीवन में तरह-तरह से फैली हैं। बहुत लोगों को भावनात्मक थकान और अकेलापन महसूस होता है। इससे अक्सर मन में डर और उदासी घर कर जाती है। ऐसे समय में हमें देवी माँ की मजबूत और रक्षा देने वाली कृपा की जरूरत होती है।
नवरात्रि अष्टमी पर मां तारा, मां काली, मां त्रिपुरसुंदरी और मां भैरवी की तंत्रयुक्त यज्ञ साधना बेहद दुर्लभ और शक्तिशाली मानी गई है। इन 4 महाविद्याओं की संयुक्त पूजा से भक्तों को दिव्य ऊर्जा, साहस और अदृश्य नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिल सकती है। शास्त्रों के अनुसार, इस विशेष यज्ञ में मंत्रोच्चारण, नवद्रव्य हवन, पुष्प अर्पण और देवी आह्वान की विधियां शामिल होती हैं। माना जाता है कि तंत्र युक्त यज्ञ से बाधाएं शांत होती हैं, आत्मबल बढ़ता है और सही निर्णय लेने के लिए देवियों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🧿 नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। अष्टमी पर देवी की उपासना से जीवन से नकारात्मक ऊर्जाएं, भय और बाधाएं दूर होने की मान्यता है। इस दिन मां दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन, विशेष मंत्र जाप और अर्चना बेहद शुभ माने गए हैं। श्रद्धा से 3 शक्तिपीठ की इस विशेष पूजा में भाग लेने से भक्तों को आत्मबल, समृद्धि और मां का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस पावन दिन हम माँ के चार शक्तिशाली रूपों यानी महाविद्याओं की आराधना करने जा रहे हैं। उनकी पूजा से जीवन की सबसे बड़ी परेशानियाँ दूर हो सकती हैं। इस साधना से अटूट साहस मिलता है, जिससे पूरी नवरात्रि देवीमय हो जाती है।
🌸 माँ तारा – सबसे बड़ी विपत्तियों से पार कराने वाली करुणामयी मार्गदर्शक हैं।
🌸 माँ काली – अहंकार, अंधकार और सभी भीतरी डर का नाश करने वाली देवी हैं।
🌸 माँ त्रिपुरा सुंदरी – जीवन में सुंदरता, शांति और स्पष्टता देने वाली देवी हैं।
🌸 माँ भैरवी – सभी नकारात्मकताओं को दूर करने वाली साहसी रक्षक हैं।
यह विशेष महायज्ञ भारत के तीन पवित्र शक्तिपीठों पर होगा, जहां देवी की ऊर्जा चरम पर मानी गई है:
🔸 तारापीठ मंदिर – यहां मां सती की आंख गिरी थी, यहां मां तारा की पूजा होगी।
🔸 कालीघाट मंदिर – यहां मां सती का दाहिना अंगूठा गिरा था, मां काली और मां भैरवी की पूजा होगी।
🔸 ललिता देवी मंदिर – यहां मां सती की उंगली गिरी थी, यहां मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा होगी।
🧿 आप श्री मंदिर द्वारा इस पवित्र अनुष्ठान से जुड़ सकते हैं। यह चिंता मुक्त होकर महाविद्याओं की शक्ति में खुद को समर्पित करने का दिव्य अवसर है