🔱 एक नहीं, बल्कि 3 ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक - पितृ पक्ष से पहले शिव आराधना का सुनहरा अवसर
पितृ पक्ष से पहले देवों के देव महादेव का आशीर्वाद लेना अत्यधिक लाभकारी माना गया है। महादेव न केवल समस्त देवताओं के प्रमुख हैं, बल्कि हमारे पूर्वजों के लिए भी विशेष स्थान रखते हैं। महादेव संहारक और विनाशक के साथ-साथ आत्माओं के रक्षक भी हैं, जो जन्म-मृत्यु के बंधनों से राहत की दिशा भी बना सकते हैं। पितृ पक्ष से पहले त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक और हवन का अवसर इसलिए भी दुर्लभ है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में कई अनुष्ठान नहीं कराए जाते।
पितृ पक्ष का उद्देश्य हमारे पूर्वजों को सम्मान और शांति प्रदान करना है, और इस दौरान ऐसे अनुष्ठान किए जाते हैं जो न केवल पूर्वजों को संतुष्ट करते हैं, बल्कि शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ आत्मिक शांति और राहत भी दिलाते हैं। रुद्राभिषेक और रुद्र हवन का आयोजन विशेष रूप से पितृ पक्ष से पहले किया जा रहा है, जिससे शिवजी का आशीर्वाद मिलता है, और पितृ पक्ष के दौरान अनुष्ठान करने से पूर्वजों की ऊर्जा शुद्ध होती है।
इस अवसर पर श्री मंदिर द्वारा त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर और घृष्णेश्वर जैसे शिवधामों में रुद्राभिषेक और रुद्र हवन किया जाएगा। रुद्राभिषेक शिवजी की पूजा का सबसे प्रभावी तरीका माना गया है, जिसमें शिवजी को जल, दूध, शहद, दही और घी जैसे पदार्थों से अभिषेक किया जाता है।
🔱 त्र्यंबकेश्वर मंदिर गोदावरी नदी के किनारे है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की मिलीजुली ऊर्जा का केंद्र है। यहां पूजा करने से शंका, भय और कर्म बाधाएं दूर हो सकती हैं।
🔱 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में है, जहां नदी ओंकार के रूप में बहती है। यह स्थान शिव और पार्वती की दिव्य उपस्थिति से जुड़ा है और मानसिक स्थिरता को बढ़ाता है।
🔱 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग वह स्थान है, जहां शिवजी ने घुष्मा की भक्ति से प्रसन्न होकर दिव्यता प्रदान की थी। यह धाम निस्वार्थ भक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
इस तीनों ज्योतिर्लिंग शक्ति अनुष्ठान में भाग लेकर श्री मंदिर के माध्यम से महादेव का आशीर्वाद पाएं और जीवन में बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा और आध्यात्मिक मजबूती का अनुभव करें।