🕉️ एक नहीं, बल्कि तीन पवित्र ज्योतिर्लिंगों में एक ही दिन रुद्राभिषेक का दुर्लभ अवसर 🔱
बार-बार बीमार पड़ना, अच्छी खुराक और सही दिनचर्या अपनाने के बावजूद खुद को अंदर से कमजोर महसूस करना। ये संकेत होते हैं कि शरीर के साथ-साथ हमारी आंतरिक ऊर्जा भी थक चुकी है। कई बार ऐसा भी होता है कि सब कुछ ठीक चल रहा है, फिर भी मन बेचैन रहता है, उलझन बनी रहती है और सोचने-समझने की शक्ति कम होने लगती है। ऐसे में ज़रूरत है महादेव से सुकून, शांति और साहस का आशीर्वाद पाने की, जो हर दर्द की दवा और हर कमी का पूरक बन सकता है।
मान्यता है कि महादेव के दिव्य ज्योतिर्लिंग धामों में रुद्राभिषेक से जीवन को नई ऊर्जा मिलती है। भगवान शिव को देवों के देव कहा जाता है, जो केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी राहत देने वाले माने जाते हैं। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और यह दिन उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है। इस दिन किया गया रुद्राभिषेक और हवन अनेकों पूजाओं के बराबर फलदायी माना गया है, क्योंकि यह दिन शिव जी से जुड़ने और अपने जीवन की उलझनों से राहत पाने सुनहरा अवसर होता है।
इसी अवसर पर श्री मंदिर द्वारा तीन प्रमुख शिवधामों त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर और घृष्णेश्वर में रुद्राभिषेक और रुद्र हवन का आयोजन कर रहा है। रुद्राभिषेक भगवान शिव की सबसे प्रिय आराधना विधि मानी गई है, जिसमें जल, दूध, शहद, दही और घी जैसे द्रव्यों से उनका अभिषेक किया जाता है।
🔱 त्र्यंबकेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के पास है और इसे ब्रह्मा, विष्णु और शिव की संयुक्त ऊर्जा का केंद्र माना गया है। यहां की पूजा से मन की शंका, भय और कर्मबाधाएं दूर हो सकती हैं।
🔱 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मंधाता द्वीप पर स्थित है, जहां नदी ॐ के आकार में बहती है। यह स्थान शिव-पार्वती की दिव्य उपस्थिति से जुड़ा हुआ है और यहां की पूजा स्थिरता बढ़ा सकती है।
🔱 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग वह स्थान है, जहां घुश्मा नामक महिला की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए थे। यह मंदिर निःस्वार्थ भक्ति और संकल्प की शक्ति का प्रतीक माना गया है।
इस सोमवार, भगवान शिव जी को समर्पित इन तीनों पवित्र धामों में रुद्राभिषेक और रुद्र हवन से जीवन में शांति, शक्ति और नई ऊर्जा अनुभव करें।