मेहनत, अनुशासन और कर्मों के अनुरूप फल देने वाले शनिदेव मूलांक 8 के इष्ट हैं। यानी जिन आराधकों का जन्म किसी भी महीने की 8, 17 और 26 तारीख को हुआ है तो उनका मूलांक है 8। मूलांक 8 के जातक अपने परिवार, कार्यस्थल और समाज के प्रति बेहद ज़िम्मेदार माने जाते हैं, लेकिन कई बार जीतोड़ मेहनत और दिन-रात काम में जुटे रहने के बाद भी क्या आपको लगता है कि परिणामों में देरी हो रही है? आपके बने-बनाए प्लान आखिरी मौके पर विफल हो रहे हैं और न चाहते हुए भी गलतफहमी और रुकावटें बढ़ती जा रही हैं?
शनिदेव की प्रयास-परिणाम फलदायी पूजा से शुभ कामों में बाधा बन रहे विलंब चक्र को तोड़ने की शक्ति है। द्वारका के हथला शनि देव मंदिर में होने जा रहे इस अनुष्ठान में मूलांक 8 का चमत्कारिक महत्व है। विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कराई जाने वाली इस पूजा में भाग लेकर आराधक कर्मों के अनुसार सर्वश्रेष्ठ फल के साथ-साथ बाधाओं और विलंब से राहत का आशीर्वाद पा सकते हैं।
🪐शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए फलदायी क्यों मानी जाती है यह पूजा?
जीवन की इन अप्रत्याशित बधाओं और अंधकार को समाप्त करने के लिए स्वयं को शनिदेव की उपासना में समर्पित करने का समय आ गया है। जिस तरह सभी ग्रहों में शनिदेव अहम हैं, उसी तरह उनके अनुष्ठान भी अद्वितीय हैं। मान्यता है कि मार्गशीर्ष शुक्ल द्वितीया पर किए जाने पर यह पूजा दुगुनी फलदायी एवं प्रभावी हो सकती है इसके अतिरिक्त-
🚩 छोटे-बड़े कामों में अचानक आने वाली रुकावटों से राहत मिलेगी, कार्मिक फल सिद्ध होंगे।
🚩 इच्छाशक्ति और इरादों में स्पष्टता आनी शुरू हो जाएगी, कार्य अंजाम तक पहुंचने शुरू होंगे।
🚩 सही टाइमिंग के योग से प्रयासों को स्पष्ट दिशा मिलेगी और सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा।
🚩 जीवन में रफ्तार और सफलता के साथ-साथ समाज में पहचान-सम्मान का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
श्री मंदिर के माध्यम से भगवान शनिदेव को समर्पित इश दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और कर्म और मेहनत के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ फल की प्राप्ति और विलंब चक्र के झंझटों से सदा के लिए मुक्ति का आशीर्वाद पाएं।