🤔 अमावस्या तिथि को क्यों माना गया है पितृ शांति और दोष निवारण के लिए सबसे शक्तिशाली?
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन दिवंगत आत्माओं की शांति और पितृ दोष के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। विशेष रूप से आषाढ़ कृष्ण अमावस्या के दिन किए गए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म पितरों को शांति प्रदान करते हैं और संतान को कुल दोषों से मुक्ति दिलाते हैं। इसीलिए इस विशेष तिथि पर हरिद्वार में नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा का दिव्य आयोजन किया जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि हरिद्वार के गंगा घाट, विशेषकर ब्रह्मकुंड, मोक्ष की प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक हैं। यहां गंगा स्नान, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को त्वरित मुक्ति मिलती है।
इस अनुष्ठान में शामिल नारायण बलि और नाग बलि जैसे विशेष अनुष्ठान उन लोगों के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है। पितृ दोष के लक्षणों में बार-बार सपने में सांप देखना, आर्थिक हानि होना, वैवाहिक जीवन में अड़चनें आना, संतान न होना या घर में अक्सर कलह का माहौल रहना शामिल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो आत्माएं अधूरी इच्छाओं के साथ या असमय मृत्यु के कारण असंतुष्ट रहती हैं, वे अशांत अवस्था में भटकती हैं और कुल में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। ऐसी आत्माओं की शांति और उद्धार के लिए नारायण बलि, नाग बलि और पितृ शांति महापूजा को अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना गया है।
ऐसा कहा जाता है कि जब ये पूजा गंगा तट जैसे पवित्र तीर्थ स्थल पर, योग्य ब्राह्मणों द्वारा शास्त्रोक्त विधियों से की जाती है, तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यह अनुष्ठान न केवल पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति दिलाने में मदद करता है, बल्कि परिवार को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक सुरक्षा भी प्रदान करता है।
🙏 आप श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें।