🔱 क्या आप अक्सर भय, भ्रम या बार-बार आने वाली असफलताओं में उलझे हुए महसूस करते हैं? कई बार बिना किसी स्पष्ट कारण के मन में बेचैनी, डर या अस्थिरता बनी रहती है। ज्योतिष के अनुसार, इसका एक बड़ा कारण कालसर्प दोष हो सकता है। जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो यह दोष बनता है। यह दोष जीवन के हर क्षेत्र में रुकावटें पैदा कर सकता है और मन की शांति को भंग कर देता है। ऐसे में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत प्रभावी माना गया है, क्योंकि राहु और केतु दोनों ही भगवान शिव के भक्त हैं।
🙏 पुराणों के अनुसार, यह दोष तक्षक नाग से जुड़ा है। जब तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसने के बाद पश्चाताप किया, तो उनके प्रायश्चित के प्रतीक रूप में प्रयागराज के श्री तक्षककेश्वर तीर्थ मंदिर में पांच दिव्य मूर्तियाँ स्थापित की गईं। तब से यह स्थान कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। माना जाता है कि यही वह स्थान है जहाँ तक्षक नाग ने श्रीकृष्ण द्वारा मथुरा से निकाल दिए जाने के बाद शरण ली थी। यहाँ भगवान शिव की पूजा करने से राहु और केतु से उत्पन्न भय और भ्रम दूर होते हैं तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है।
🛕 इस विशेष कालसर्प दोष शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक में भगवान शिव पर दूध, शहद और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। पवित्र मंत्रों के उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। जब तक्षककेश्वर कुंड का जल अभिषेक में उपयोग किया जाता है, तो यह गहरी मानसिक अशांति और भय को दूर करने में सहायक माना जाता है। इस पूजा से मन में स्थिरता और आत्मविश्वास का संचार होता है।
यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से आपके जीवन में कालसर्प दोष से मुक्ति, निडरता और स्थायी मानसिक शांति के दिव्य आशीर्वाद लाती है।