अगर जीवन में बार-बार बिना किसी स्पष्ट वजह के कठिनाइयाँ आती हैं, जैसे विवाह में देरी, संतान का स्वास्थ्य बार-बार खराब होना, करियर में रुकावट, या घर में लगातार तनाव और कलह, तो यह पितृ दोष के संकेत हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ दोष तब होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिली होती। अक्सर इसका कारण यह होता है कि श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान जैसी पूजा-क्रियाएँ अधूरी या गलत तरीके से की गई हों।
पितृ दोष का असर पूरे परिवार पर पड़ सकता है। इससे रिश्तों में असंतुलन, आर्थिक परेशानियाँ, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ और जीवन में बार-बार अनचाही मुश्किलें देखने को मिल सकती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि सामान्य पूजा-पाठ से पितृ दोष की शांति नहीं हो पाती। इसके लिए विशेष वैदिक अनुष्ठान करना आवश्यक होता है, जो पूर्वजों को शांति प्रदान करें और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करें।
इसीलिए श्री मंदिर द्वारा इस अष्टमी तिथि पर दक्षिण काशी, गोकर्ण में विशेष नारायण बलि पूजा, त्रिपिंडी श्राद्ध और पितृ दोष शांति पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह एक पवित्र अनुष्ठान है, जो पूर्वजों के कर्मों से उत्पन्न असंतुलन को दूर करने, परिवार में सामंजस्य लाने और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर देता है।
यह अनुष्ठान पवित्र गोकर्ण तीर्थ में संपन्न होगा, जिसे दक्षिण काशी कहा जाता है। यहाँ का समुद्र संगम और कोटितीर्थ जैसे पवित्र स्थल अनुष्ठान की आध्यात्मिक शक्ति को और बढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहाँ किए गए अनुष्ठान पूर्वजों को शांति पहुँचाते हैं, और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति, सहयोग, संतुलन और समृद्धि बढ़ सकती है।
✨ इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेकर आप अपने पूर्वजों का सम्मान कर सकते हैं और परिवार में संतुलन और आशीर्वाद की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।