💫कभी-कभी जीवन बिना किसी स्पष्ट कारण के रुक जाता है। योजनाएँ अधूरी रह जाती हैं, आत्मविश्वास कम हो जाता है और मन में एक अनजाना भय बना रहता है। शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसी छिपी हुई बाधाएँ राहु दोष या नकारात्मक ऊर्जा के कारण होती हैं, जो मन को भ्रमित करती हैं और भाग्य की स्थिरता को प्रभावित करती हैं। जब ये ऊर्जा बढ़ जाती हैं, तब भय, बेचैनी और कार्य या परिवार में रुकावटें दिखाई देने लगती हैं। ऐसे समय में भक्त माँ विंध्यवासिनी की शरण लेते हैं जो विंध्याचल पर्वत पर विराजमान हैं और अदृश्य उलझनों को काटकर जीवन में संतुलन लाने वाली मानी जाती हैं।
💫देवी भागवत पुराण में वर्णन है कि जब महिषासुर ने तीनों लोकों में अंधकार फैला दिया, तब माँ दुर्गा प्रकट हुईं और बाद में माँ विंध्यवासिनी के रूप में देवताओं की रक्षा के लिए अवतरित हुईं। उन्होंने वचन दिया कि जब भी दुष्ट शक्तियाँ सक्रिय होंगी, वे अपने भक्तों की रक्षा हेतु पुनः प्रकट होंगी। राहु, जो भ्रम और अचानक रुकावटें पैदा करने वाला ग्रह माना गया है, माँ की शक्ति से भयभीत रहता है। इसलिए, इस दुर्गाष्टमी तिथि पर राहु शांति जाप और नवचंडी हवन का आयोजन शुभ माना गया है, जो छिपी नकारात्मकता को शांत करने और मन में स्पष्टता व साहस लाने का माध्यम बनता है।
🌺यह विशेष पूजा माँ विंध्यवासिनी देवी मंदिर, विंध्याचल में संपन्न की जाएगी। इसमें आचार्यगण 18,000 राहु मूल मंत्रों का जाप करेंगे और तिल, काली उड़द और सरसों जैसे दिव्य द्रव्यों से दशांश हवन करेंगे, जिससे अशुभ कंपन को शांत किया जा सके। नवचंडी हवन में देवी के नौ स्वरूपों का आह्वान किया जाएगा, जिससे चारों दिशाओं से सुरक्षा का भाव जाग्रत होता है, वहीं माँ विंध्यवासिनी पूजा से घर में उनकी दिव्य उपस्थिति स्थापित की जाएगी। ऐसा माना जाता है कि राहु जाप और शक्ति उपासना का यह संगम नकारात्मकता को दूर करने और मन को स्थिर करने में सहायक होता है।
🙏यदि आप जीवन में छिपी नकारात्मकता, अनजानी रुकावटों या बिना कारण डर का अनुभव कर रहे हैं, तो श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लेकर शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक संतुलन की भावना से जुड़ सकते हैं।