☀️🪐 सूर्य-शनि दोष और पितृ दोष से मुक्ति का शुभ अवसर: शनि जयंती पर विशेष पूजा और पितृ महादान कुंजिका अर्पण में भाग लें।🙏
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता और शनि को पूर्वजों तथा कर्मों का प्रतिनिधि माना गया है। जब कुंडली में सूर्य और शनि दोनों ग्रह पीड़ित हों या परस्पर शत्रुता की स्थिति में हों, तो इससे पितृ दोष उत्पन्न होता है। ऐसा दोष जीवन में आर्थिक संकट, पारिवारिक तनाव, करियर में अस्थिरता और मानसिक क्लेश का कारण बनता है। विशेष रूप से यह दोष पैतृक संपत्ति में रुकावट, आपसी मतभेद और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ लेकर आता है।
इसलिए शनि के जन्मोत्सव शनि जयंती पर सूर्य-शनि दोष निवारण पूजा और पितृ महादान कुंजिका अर्पण का आयोजन अत्यंत फलदायी माना गया है। यह दिन साधना और दान के लिए अत्यंत शुभ है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा और श्रद्धा दुगुना फल प्रदान करती है। यह विशेष पूजा सूर्य और शनि के अशुभ प्रभावों को शांत कर, पितृदोष से मुक्ति दिलाती है और पितरों की तृप्ति का माध्यम बनती है।
🔱 काशी के पिशाच मोचन कुंड में इस पूजा का विशेष महत्व
यह पूजन यदि मोक्ष नगरी काशी के पिशाच मोचन कुंड में किया जाए, तो इसका पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है। गरुड़ पुराण में इस स्थान को पितृ श्राद्ध एवं दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। काशी खंड के अनुसार, यह तीर्थ स्थल माँ गंगा के अवतरण से भी प्राचीन है। भारतवर्ष के कोने-कोने से भक्त इस तीर्थ में आकर अपने पितरों की आत्मा की शांति हेतु पूजा और पितृ दोष शांति महायज्ञ कराते हैं।
✨ पितृ महादान कुंजिका अर्पण में प्रमुख वस्तुएँ
यह दान केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि आत्मिक स्तर पर पितरों को सुख और संतोष प्रदान करता है। विशेष रूप से निम्न वस्तुओं का दान श्रेष्ठ माना गया है:
चप्पल (जूते) – जिससे पितृलोक की यात्रा सुगम होती है।
सफेद धोती – शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक।
छाता – धूप और वर्षा से पितरों की रक्षा के लिए।
चटाई – पितरों को विश्राम हेतु।
ऐसी मान्यता है कि इन वस्तुओं के दान से पितर तृप्त होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि और शांति आती है। यह केवल कोई कर्मकांड नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का सर्वोत्तम माध्यम है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान के पुण्य के भागी बने।