🧠😟 क्या मानसिक तनाव, भ्रम और जीवन में बार-बार आने वाली रुकावटें आपको निरंतर परेशान कर रही हैं? यह राहु-चंद्र ग्रहण दोष का संकेत हो सकता है।🌑
ज्योतिष शास्त्र में वर्णित राहु-चंद्र ग्रहण दोष तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में राहु और चंद्रमा एक ही भाव में स्थित हों या राहु की दृष्टि चंद्रमा पर पड़े। यह दोष विशेष रूप से मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालता है, जिससे व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और जीवन में अनिर्णय, भय, असंतुलन व अस्थिरता का अनुभव होता है। चंद्रमा जहां मन का प्रतीक है, वहीं राहु एक छाया ग्रह है जो भ्रम, अतिविचार और असंतुलित आकांक्षाओं को जन्म देता है। इस वर्ष की ज्येष्ठ पूर्णिमा बुधवार के दिन पड़ रही है, जब चंद्रमा की ऊर्जा चरम पर होती है और बुधवार को केतु से जुड़ा दिन माना गया है। यह दुर्लभ संयोग राहु-चंद्र दोष शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
राहु और चंद्रमा के मध्य क्यों रहता है शाश्वत विरोध? जानें पौराणिक कथा 🌕
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति के लिए संघर्ष चल रहा था, तब असुर स्वरभानु ने देवता का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया। चंद्रमा और सूर्य ने उसकी पहचान उजागर की, जिसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पान करने के कारण उसका सिर 'राहु' और धड़ 'केतु' के रूप में अमर हो गया। तभी से राहु चंद्रमा से शत्रुता रखता है और समय-समय पर चंद्रमा को ग्रसने का प्रयास करता है, जिससे यह दोष उत्पन्न होता है।
🌄 ब्रह्म मुहूर्त में सम्पन्न होगा दुर्लभ अनुष्ठान – राहु-चंद्र दोष से मुक्ति का शुभ अवसर
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर उत्तराखंड के पावन राहु पैठाणी मंदिर में राहु-चंद्र ग्रहण दोष की शांति हेतु विशेष अनुष्ठान आयोजित हो रहा है। इसमें 18,000 राहु बीज मंत्र और 10,000 चंद्र बीज मंत्रों का जाप तथा शांति यज्ञ सम्पन्न किया जाएगा। यह अनुष्ठान ब्रह्म मुहूर्त में सम्पन्न होगा, जो सूर्योदय से पूर्व का अत्यंत पवित्र समय माना गया है। इस काल में किए गए मंत्र जाप और यज्ञ का प्रभाव कई गुना अधिक होता है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में किए गए अनुष्ठान से मानसिक अशांति, भ्रम और ग्रहों की नकारात्मकता दूर होती है। भगवान शिव की कृपा से राहु-चंद्र दोष का प्रभाव शमित होता है और साधक को जीवन में सुख, शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें|