🛕 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राहु और केतु स्वर्भानु नाम के राक्षस के शरीर से पैदा हुए दो प्राणी हैं। स्वर्भानु के सिर को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना गया है। शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु की दशा चल रही हो तो इससे प्रयासों में असफलता, पारिवारिक कलह, बुरी आदतों की लत, आर्थिक तंगी और गलत निर्णय लेने में महारत बढ़ जाती है। इस बुधवार इन ग्रहों की साधना के लिए विशेष महापूजा और रुद्राभिषेक का आयोजन होने जा रहा है, जो हरिद्वार के सिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में संपन्न होगा।
🛕 पुराणों में भगवान शिव को राहु और केतु का देवता माना जाता है और मान्यता है कि उनकी पूजा करने से इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों में भी कमी आने लगती है। पुराणों में राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा के साथ महारुद्राभिषेक करना बेहद फलदायी माना गया है, क्योंकि महादेव की आराधना के माध्यमों में रुद्राभिषेक को बेहद अहम माना जाता है। रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी जैसे द्रव्यों से शिव जी का अभिषेक किया जाता है और उनसे सभी दुखों, संकटों और बाधाओं को हरने की कामना की जाती है।
🛕 शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा, ग्रह दोषों से राहत की दिशा दिखा है। इसलिए, उत्तराखंड के श्री पशुपतिनाथ मंदिर में राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा। हरिद्वार स्थित यह मंदिर भगवान शिव के पशुपति रूप को समर्पित है। यह मंदिर नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग का प्रतीक माना गया है। गंगा तट पर स्थित यह स्थल भक्तों के लिए मोक्ष और ग्रह दोष निवारण का केंद्र भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से भक्तों को राहु देव के साथ भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए, इस बुधवार के शुभ संयोग में यहां राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक का दुर्लभ अवसर है, जो मानसिक शांति, बेहतर निर्णय लेने के नए रास्ते खोल सकता है।
🌑 भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और अपनी कुंडली में राहु और केतु के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।