🕉️ कई बार बाहर से सब ठीक लगता है, लेकिन अंदर से मन परेशान रहता है। बिना किसी वजह के बेचैनी, डर या आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है। यह मन की वह स्थिति है, जब विचार बिखर जाते हैं और दिल भारी लगने लगता है। किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जो आंतरिक मजबूती चाहिए, वह महसूस नहीं होती। दरअसल, ये परेशानियां बाहर से नहीं आतीं, बल्कि हमारे अंदर जमा दबाव और डर से पैदा होती हैं। ऐसे समय में विद्वान मन की शांति और स्थिरता के लिए हमें माँ भय-नाशिनी यानी डर को मिटाने वालीं माँ चामुंडा की शरण में जाने की सलाह देते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए शक्तिपीठ में 108 चामुंडा भय-निवारण बीज मंत्र जाप और रक्तपुष्प हवन संपन्न होगा। इसमें भाग लेने का स्वर्णिम अवसर हाथ से न जाने दें।
🕉️मार्कण्डेय पुराण के देवी महात्म्य भाग में बताया गया है कि एक समय ऐसा था, जब देवता किसी युद्ध में हारे नहीं थे, लेकिन वे डर के कारण कमजोर और असहाय दिखने लगे थे। तब माँ दुर्गा ने एक विशेष रूप धारण किया - माँ चामुंडा, उन्होंने सिर्फ दुष्ट शक्तियों का नाश ही नहीं किया, बल्कि सबसे पहले देवताओं के दिल से डर को मिटाया। यह कथा हमें यह सिखाती है कि असली जीत तभी होती है, जब हम अपने अंदर के डर और बेचैनी पर विजय पाते हैं। जब हम माँ चामुंडा की शरण में जाते हैं, तो हम उस आदिशक्ति को पुकारते हैं, जो हमारे भय को मिटाकर हमें शांत, मजबूत और आत्मविश्वासी बना देती हैं।
🕉️ 108 चामुंडा भय-निवारण बीज मंत्र जाप एवं रक्तपुष्प हवन एक शक्तिशाली तंत्रोक्त-वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें मां चामुंडा के बीज मंत्र का 108 बार जप कर उनके उग्र-संरक्षक स्वरूप का आह्वान किया जाता है। चामुंडा देवी को भय, शत्रु, बाधा और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली अधिष्ठात्री शक्ति माना गया है। जप के बाद रक्त वर्ण वाले पुष्पों से (जैसे लाल कनेर/लाल गुलाब) हवन किया जाता है, जो साहस, रक्षा और आंतरिक शक्ति जागरण की झलक है। इस अनुष्ठान की मान्यता है कि यह भय, मानसिक अस्थिरता, अदृश्य बाधाओं और शत्रु-चिंता से राहत प्रदान कर मन को निर्भय, स्थिर और अंदर से मजबूत बना सकता है। 🙏🔥🌺
इस विशेष पूजा में आप भी श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और जीवन में शक्ति, शांति और निर्भयता का आशीर्वाद प्राप्त करें।