रिश्तों में बढ़ रहें तनाव और कड़वाहट को कम करना चाहते हैं, पर कई कोशिशों के बाद भी कुछ ठीक नहीं हो रहा। आपकी इस परेशानी का उपाय प्रेम के सबसे बड़े उदाहरण भगवान शिव और मां शक्ति की भक्ति से संभव है। हमारे सनातन धर्म में भगवान शिव और माता शक्ति को केवल एक दैवीय युगल नहीं, बल्कि प्रेम, धैर्य, क्षमा और आध्यात्मिक संतुलन के मूल स्तंभ भी माना जाता है। जहां एक ओर भगवान शिव को स्थिरता और आत्मा का प्रतीक माना जाता है, वहीं मां शक्ति को चेतना, ऊर्जा और सृजन की शक्ति के रूप में पूजा जाता है। इन दोनों के मिलन से ही ब्रह्मांड में संतुलन और सौहार्द की स्थापना होती है। इसी कारण कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से हमारे जीवन में भी दिव्यता और संतुलन की बहाली होती है।
मान्यता है कि शिव और शक्ति की कृपा से टूटे रिश्तों में फिर से जान आ जाती है, मन की कड़वाहट दूर होती है और प्रेम व समझ का संचार होता है। इनके संयुक्त पूजन में वही ऊर्जा होती है जो सृष्टि के आरंभ में विद्यमान थी, जैसे-एकता, सृजन और करुणा की ऊर्जा, जब हम प्रेम और संबंधों की भावना से इनकी उपासना करते हैं, तो यह पूजा हमारे भीतर सहनशीलता, ममता और गहराई को जागृत करती है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावशाली माना जाता है, जो अपने संबंधों में मजबूती, समझ और नई शुरुआत की तलाश कर रहे हैं।
इसीलिए दिव्य प्रेम मिलन पूजा और रिश्तों को ठीक करने के लिए दिव्य अनुष्ठान का आयोजन त्रियुगीनारायण मंदिर में किया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार यह वही पवित्र मंदिर है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। कहते हैं कि शिव और पार्वती का विवाह इसी मंदिर में स्थित विशाल हवन कुंड में हुआ था, जिसमें चारों दिशाओं में अग्नि प्रज्वलित की गई थी। इस हवन कुंड की राख को आज भी भक्त अपने घर ले जाते हैं और इसे अपने वैवाहिक जीवन के सुखमय होने के लिए एक आशीर्वाद मानते हैं।
आप भी इस पवित्र स्थल पर आयोजित दिव्य अनुष्ठान में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और शिव-शक्ति के आशीर्वाद से अपने रिश्तों को मजबूत बनाएं।