सनातन धर्म में भगवान शनि को न्याय के देवता कहा गया है। वे हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब उनकी कृपा होती है, तो जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति आती है। लेकिन जब शनि की साढ़ेसाती या महादशा का समय चलता है, तो जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयाँ, मानसिक बेचैनी और आर्थिक रुकावटें महसूस होती हैं। साढ़ेसाती का काल साढ़े सात वर्ष तक रहता है और यह तीन चरणों में विभाजित होता है। वहीं शनि की महादशा उन्नीस वर्ष की होती है। ये समय व्यक्ति के धैर्य और विश्वास की परीक्षा लेता है।
ऐसे समय में शनि तिल तेल अभिषेक, शांति हवन और विशेष मंत्र जाप जैसे वैदिक उपाय अत्यंत लाभदायक माने गए हैं। गुजरात स्थित हतला शनि देव मंदिर में ये विशेष पूजन अत्यंत श्रद्धा और विधि से किए जाते हैं। यहाँ शनि महादशा शांति महापूजा विशेष महत्व रखती है। यह पूजा शनि के अशुभ प्रभावों को शांत करने और जीवन में स्थिरता लाने के लिए की जाती है।
इस महापूजा के दौरान भक्त शनि बीज मंत्र का जाप करते हैं और तिल तेल से भगवान शनि का अभिषेक किया जाता है। साथ ही शांति हवन किया जाता है जिससे वातावरण की नकारात्मकता दूर होती है और एक सुरक्षात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह पूजन मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह, आर्थिक कठिनाइयों और कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक माना गया है।
इस पूजन से भगवान शनि की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है। जो भक्त श्रद्धा और सच्चे मन से यह पूजा करते हैं, उन्हें मानसिक शांति, आर्थिक स्थिरता और जीवन में नई ऊर्जा का अनुभव होता है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजन में सम्मिलित होकर शनि के अशुभ प्रभावों से राहत प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में सुख, स्थिरता और सफलता का अनुभव कर सकते हैं।