✨ जगद्धात्री पूजा का पवित्र उत्सव दुर्गा पूजा के समान भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह महापर्व चार दिनों तक चलता है, कार्तिक शुक्ल सप्तमी से लेकर दशमी तक। इन चार दिनों में सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली दिन नवमी होता है, जो इस वर्ष 31 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन हम माँ जगद्धात्री की आराधना करते हैं, जिसका अर्थ है “वह जो संपूर्ण जगत को थामे हुए हैं।” वह धर्म की सर्वोच्च रक्षक हैं और उनकी पूजा अच्छे पर बुराई की अंतिम विजय का प्रतीक मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस नवमी तिथि पर उनकी कृपा सबसे अधिक अनुभव की जाती है, और यह वह दिव्य अवसर है जब हमारी सुरक्षा और परिवार की भलाई की प्रार्थनाएँ अत्यंत शक्ति के साथ स्वीकार होती हैं।
✨ माँ जगद्धात्री का दिव्य स्वरूप उनकी सुरक्षा और शक्ति की कहानी बताता है। उन्हें सिंह पर बैठे हुए दिखाया गया है, जिन्होंने महाबली हाथी राक्षस करिंद्रासुर को परास्त किया। यह हाथी अहंकार, गर्व और जीवन में आने वाली बड़ी बाधाओं का प्रतीक है। उनकी यह विजय प्रत्येक भक्त के लिए दिव्य संदेश है कि कोई भी समस्या उनके लिए असंभव नहीं। करिंद्रासुर को हराकर माँ जगद्धात्री ने यह सिद्ध किया था कि उनके पास हमारी राह में आने वाली सबसे बड़ी नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की शक्ति है।
✨ पवित्र कालीघाट शक्तिपीठ में यह जगद्धात्री कवच पाठ और चंडी हवन बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। कवच पाठ भक्त और उनके परिवार को माँ के मंत्रों से सुरक्षा कवच देता है, जो इतनी मजबूत होती है कि कोई भी नकारात्मक शक्ति इसे छू नहीं सकती। साथ ही, चंडी हवन एक पवित्र अग्नि अनुष्ठान है, जो आपकी प्रार्थनाओं को सीधे माँ तक पहुँचाता है और उनके आशीर्वाद को और भी बढ़ाता है। ऐसे स्थान पर पूजा करने से आपके घर के चारों ओर दिव्य सुरक्षा का घेरा बनता है, आपके प्रियजनों की रक्षा होती है और आपके मन में शांति और निडरता आती है।
इस विशेष पूजा में आप श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और अपने जीवन में माँ जगद्धात्री के सम्पूर्ण संरक्षण और पारिवारिक कल्याण के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करें।