इस खास पूजा से आप भी पा सकते हैं कृष्ण से जुड़ाव का एहसास और बना सकते हैं पुराने पापों से मुक्ति का आसान रास्ता 🌿✨
जन्माष्टमी का त्योहार उस पवित्र क्षण की स्मृति है जब स्वयं भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया था। उनका यह अवतार केवल राक्षसों के अंत और अधर्म के विनाश के लिए नहीं था, बल्कि हम जैसे सामान्य जीवों को जन्म-जन्मांतर के पापों और कर्मबंधन से धीरे-धीरे मुक्त करने के लिए था। श्रीकृष्ण को केवल लीलाओं के देवता नहीं, बल्कि करुणा, मार्गदर्शन और भीतर की शांति देने वाली एक दिव्य उपस्थिति के रूप में जाना गया है। ऐसा माना जाता है कि उनका नाम लेने मात्र से मन का बोझ थोड़ा हल्का हो जाता है। वे हमारी उलझनों को समझते हैं और आत्मा को भीतर से शांत करने लगते हैं।
इसी भावना से जुड़ी है 1008 तुलसी अर्चना मोक्ष द्वार सेवा, यह कोई कठिन या जटिल पूजा नहीं, बल्कि एक सरल, सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना है। इस अनुष्ठान में तुलसी के 1008 पत्तों के साथ श्रीकृष्ण के नामों का जप किया जाता है। तुलसी जोकि भक्ति, शुद्धता और आत्मिक जागरूकता का प्रतीक मानी जाती है, और जब इस पवित्र पत्तें को प्रभु के चरणों में अर्पित किया जाता है, तो वह मन, शरीर और आत्मा तीनों को स्पर्श करती है। 1008 की संख्या इस अर्चना को एक संपूर्ण चक्र में बदल देती है, जिसमें भक्त हर स्तर पर थोड़े-थोड़े हल्के और खुद को अंदर नई ऊर्जा से भर सकते हैं। यह सेवा ‘मोक्ष द्वार’ को खोलने की एक विनम्र कोशिश है जहां हम अपने पुराने बोझों से थोड़ी राहत पाकर, प्रभु की निकटता को भीतर महसूस कर सकते हैं।
यह विशेष अनुष्ठान तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में आयोजित किया जा रहा है। यह एक ऐसा दिव्य अवसर है, जिसमें भाग लेकर भक्त अपने भीतर झाँक सकते हैं, प्रभु को स्मरण कर सकते हैं और आत्मिक शांति की ओर एक छोटा लेकिन सच्चा कदम बढ़ा सकते हैं। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस सेवा में सहभागी बन सकते हैं और भक्ति से जुड़ी इस शुद्ध साधना का हिस्सा बन सकते हैं।