भाई दूज का पावन पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। यह त्योहार सिर्फ प्यार का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक महत्व वाला भी है, क्योंकि इससे जुड़ी हैं माँ यमुना और भगवान शनि देव की दिव्य कथाएँ। कहते हैं कि माँ यमुना सूर्यदेव की पुत्री और यमराज व शनिदेव की बहन हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। बहन के सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे यम का भय नहीं रहेगा और वह अकाल मृत्यु से मुक्त रहेगा।
तभी से भाई दूज का यह पवित्र पर्व मनाया जाता है, और यमुना माता की पूजा से भाई की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना की जाती है। वहीं भगवान शनि देव को न्याय और कर्मों के फल देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भाई दूज के दिन यदि शनि देव की पूजा और मंत्र जाप किया जाए, तो कठिनाइयाँ, ग्रह दोष और शनि के प्रतिकूल प्रभाव शांत हो जाते हैं। इसलिए यह दिन यमुना माता की पवित्रता और शनि देव की कर्म शांति का संगम माना जाता है। इन्हीं दोनों दिव्य शक्तियों को समर्पित एक विशेष अनुष्ठान इस भाई दूज पर आयोजित किया जा रहा है।
इन अनुष्ठानों के अंतर्गत उत्तराखंड के पवित्र यमुनोत्री धाम में ‘यमुनाष्टकम पाठ’ और उज्जैन के श्री नवग्रह मंदिर में 23,000 शनि मूल मंत्र जाप का आयोजन होगा। यह पवित्र अनुष्ठान भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, दीर्घायु और कर्म संतुलन का आशीर्वाद प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि यमुनाष्टकम का पाठ मन और आत्मा को शुद्ध कर दैवीय कृपा प्रदान करता है, जबकि शनि मूल मंत्र जाप जीवन से कर्मजन्य बाधाओं और तनाव को शांत करता है। जब ये दोनों साधनाएँ साथ में की जाती हैं, तो व्यक्ति के जीवन में संतुलन, शांति और दिव्य सुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है।
🌸 इस भाई दूज के पावन अवसर पर, आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इन पवित्र और शक्तिशाली अनुष्ठानों से जुड़ सकते हैं।