सनातन धर्म में शनिवार और अमावस्या का एक साथ आना बेहद खास माना जाता है। यह संयोग साल में बहुत कम बनता है और ऐसा माना जाता है कि जब ये दोनों तिथियाँ एक साथ पड़ती हैं, तब जीवन में चल रहे गहरे बोझ, पुराने कर्म और मानसिक दबाव को हल्का करने का अवसर मिलता है। शनिवार शनि देव का दिन है और अमावस्या मन की शुद्धि और भीतर जमा नकारात्मकता को छोड़ने का समय मानी जाती है। इन दोनों के मिलने पर एक ऐसा आध्यात्मिक वातावरण बनता है जिसमें साधना और मंत्र जाप का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इसी कारण इस दिन 21 ब्राह्मणों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक अनुष्ठान अत्यंत विशेष माना जाता है।
🌺 इस अवसर पर 23 हजार शनि मूल मंत्र जाप को विशेष रूप से प्रभावकारी माना जाता है। 21 ब्राह्मणों द्वारा समान गति और अनुशासन के साथ किया गया यह जाप जीवन में चल रहे दबाव, देरी या लगातार आने वाली बाधाओं को हल्का करने में सहायक माना जाता है। कई भक्तों की परंपरागत मान्यता है कि जब यह मंत्र शनिवार और अमावस्या के संयुक्त संयोग में किए जाते हैं, तब मन का भारीपन कम होता है, सोच धीरे-धीरे स्पष्ट होती है और जीवन में संतुलन की भावना लौटने लगती है।
📿 इसी अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा 1008 हनुमान अष्टक पाठ है, जिसे 21 ब्राह्मणों द्वारा भक्ति भाव से किया जाएगा। हनुमान जी को शक्ति, साहस और सुरक्षा के देवता के रूप में पूजते हैं। माना जाता है कि हनुमान अष्टक का पाठ मन को शांत करता है, चिंता को हल्का करता है और भीतर आत्मविश्वास की नई ऊर्जा उत्पन्न करता है। कई भक्त इसे मानसिक सहारे और भावनात्मक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण साधन मानते हैं, खासकर तब जब जीवन में अस्थिरता या डर का अनुभव हो रहा हो।
🍃 इस पूजा का महत्व उस प्रचलित कथा से भी जुड़ा है जिसमें बताया गया है कि हनुमान जी ने एक बार रावण की कैद से शनि देव को मुक्त किया था। इसी कारण माना जाता है कि शनि देव, हनुमान जी के भक्तों को विशेष सहारा देते हैं। इस मान्यता के आधार पर शनिवार अमावस्या पर शनि और हनुमान जी की संयुक्त पूजा को जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और मन की शांति प्राप्त करने का एक अनोखा अवसर समझा जाता है।
यह पूरा अनुष्ठान उज्जैन के पवित्र नवग्रह शनि मंदिर में 21 ब्राह्मणों द्वारा संपन्न होगा। भक्तों का भाव यह रहता है कि इस विशेष पूजा के माध्यम से वे शनि देव और हनुमान जी की संयुक्त कृपा और मानसिक शांति का अनुभव कर सकें।