सनातन धर्म में शनिवार को भगवान शनि और भगवान हनुमान की पूजा बहुत ही खास और प्रभावशाली मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की भक्ति से शनि देव की कृपा जल्दी मिलती है, जिससे शनि और राहु दोष का प्रभाव कम होता है और हमारे जीवन की मुश्किलें, जो कर्मों के कारण आती हैं, उन्हें शांत किया जा सकता है। वर्ष 2026 की पहली शनि पूर्णिमा पर यह पावन अनुष्ठान 21 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है, जिससे इसका असर और भी ज्यादा शक्तिशाली होता है।
मुश्किलों को शक्ति में बदलने का तरीका
इस पूजा में 23,000 बार शनि मूल मंत्र का जप किया जाता है। यह मंत्र नकारात्मक प्रभावों को कम करता है, जीवन में स्थिरता लाता है और करियर, व्यवसाय या व्यक्तिगत चुनौतियों में साफ़ सोच और सही निर्णय लेने में मदद करता है। साथ ही, 1008 बार संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ साहस, धैर्य और मानसिक शांति बढ़ाता है, और भय, बाधाओं व तनाव से सुरक्षा देता है।
भगवान हनुमान और शनि देव की यह संयुक्त पूजा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कहा जाता है कि हनुमान जी ने पहले शनि देव को रावण की कैद से मुक्त किया था। तब से शनि देव हनुमान भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। साल की पहली शनि पूर्णिमा पर यह पूजा करने से इसका असर और भी बढ़ जाता है और नकारात्मकताओं से राहत मिलती है। यह पावन अनुष्ठान उज्जैन के नवग्रह शनि मंदिर में किया जाता है।
श्री मंदिर के माध्यम से आप इस पूजा में भाग लेकर 21 ब्राह्मणों द्वारा किए जाने वाले 21 ब्राह्मण महानुष्ठान का लाभ उठा सकते हैं और शनि व हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।