✨ कुछ तिथियां केवल पंचांग की गणना नहीं होतीं, बल्कि वे पूरे वर्ष की ऊर्जा को दिशा देने का कार्य करती हैं। 03 जनवरी 2026, शनिवार, पौष शुक्ल पूर्णिमा ऐसी ही एक महापूर्णिमा मानी जाती है, जब शनि, राहु और चंद्र अपने अपने प्रभावों के साथ सक्रिय रहते हैं और उन सभी कोणों को संतुलित करने वाला तत्व भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप में जाग्रत होता है। यही कारण है कि इस दिन को 2026 की शुरुआत का सबसे शक्तिशाली दिन माना जा रहा है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि जब शनि और राहु जैसे कर्म और छाया ग्रह पूर्णिमा के चंद्र के साथ प्रभाव में आते हैं, तब जीवन में कुछ विशेष योग बनते हैं, जिन्हें श्रापित योग और विष योग जैसे नामों से जाना गया है।
इन योगों के प्रभाव में व्यक्ति को बिना स्पष्ट कारण मानसिक भारीपन, निर्णयों में भ्रम, रुकावटें और भय का अनुभव हो सकता है। चंद्र मन का कारक है और जब वह शनि तथा राहु के दबाव में आता है, तब मन की स्थिरता प्रभावित होने लगती है। इसी कारण महापूर्णिमा के दिन भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप की उपासना को अत्यंत आवश्यक माना गया है। शिव को ग्रहों के बंधन से मुक्त करने वाला और विष को अमृत में बदलने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। सोमेश्वर महादेव की कथाओं में भी यह संकेत मिलता है कि जब चंद्र क्षयरोग से पीड़ित हुए, तब शिव के आशीर्वाद से उन्हें संतुलन प्राप्त हुआ। यही भाव इस महापूर्णिमा साधना का आधार माना जाता है।
🌓 इस महापूर्णिमा के पावन अवसर पर एक नहीं, बल्कि तीन दिव्य धामों में अलग-अलग महानुष्ठान संपन्न होने जा रहा है। मान्यता है कि जब इस विशेष तिथि पर विभिन्न सिद्ध स्थलों में एक साथ साधना होती है, तब उसका प्रभाव बहुगुणित हो जाता है। इस दिन 23,000 शनि मूल मंत्र जाप उज्जैन स्थित नवग्रह मंदिर में, 10,000 चंद्र बीज मंत्र जाप प्रयागराज के सोमेश्वर महादेव मंदिर में, 18,000 राहु मूल मंत्र जाप राहु पैठाणी मंदिर में तथा 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप का संयुक्त अनुष्ठान किया जा रहा है। कहते हैं कि यह दुर्लभ संयोजन कर्म के बोझ, विष प्रभाव और मानसिक अस्थिरता को एक साथ संबोधित करता है।
🔱 यह साधना केवल ग्रह शांति नहीं, बल्कि वर्ष की शुरुआत में एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच के रूप में देखी जाती है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो नए वर्ष में बिना ग्रह भय, बिना मानसिक दबाव और बिना अदृश्य रुकावटों के आगे बढ़ने की कामना रखते हैं। ऐसी धारणा है कि महापूर्णिमा पर की गई यह संयुक्त साधना पूरे वर्ष के लिए शिव जी का संरक्षण, चंद्र की स्थिरता और शनि राहु की सौम्यता को सुदृढ़ कर सकती है।
🪔 श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस महापूर्णिमा विशेष अनुष्ठान के पुण्यफल का भागी बनें और 2026 की शुरुआत को सबसे शक्तिशाली बनाएं।