एक आखिरी मौका - सावन की पूर्णिमा पर रुद्राभिषेक और शनि तिल तेल अभिषेक से जीवन बदल देने वाले आशीर्वाद 🙏✨
हिंदू धर्म में सावन को भगवान शिव की पूजा का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह धारणा है कि इस महीने की गई पूजा पूरे साल के लिए शक्तिशाली आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करती है। खासकर सावन का आखिरी दिन, जो पूर्णिमा तिथि को आता है, अत्यंत आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली माना जाता है। इस बार सावन की शुक्ल पूर्णिमा शनिवार को पड़ रही है। जब पूर्णिमा शनिवार को आती है, तो उसे शनि पूर्णिमा कहा जाता है। इसलिए, सावन का यह आखिरी दिन उज्जैन के नवग्रह शनि मंदिर में होने वाले रुद्राभिषेक और शनि तिल तेल अभिषेक के लिए एक विशेष अवसर है। यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि यहां शनिदेव की पूजा शिव रूप में की जाती है, जिससे यह पूजा और अधिक प्रभावशाली मानी जाती है।
प्राचीन शास्त्रों में शनिदेव और भगवान शिव के बीच गहरा संबंध बताया गया है। माना जाता है कि शनिदेव, जो भगवान शिव के परम भक्त थे, उन्हें शिव से एक वरदान प्राप्त हुआ था, जिससे वे सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली बन गए। भगवान शिव ने कहा था, "तुम लोगों के कर्मों के अनुसार न्याय करोगे।" तभी से शनिदेव को कर्मों के फल देने वाला ग्रह माना गया, और वे नवग्रहों में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। इसी कारण से, सावन पूर्णिमा और शनिवार के इस शुभ संयोग पर रुद्राभिषेक और शनि तिल तेल अभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से उन लोगों को विशेष लाभ मिलता है जो जीवन में न्याय, राहत और आध्यात्मिक संतुलन की कामना रखते हैं।
उज्जैन का नवग्रह शनि मंदिर उन कुछ स्थानों में से है, जहाँ शनिदेव की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसमें भगवान शिव और शनिदेव दोनों की ऊर्जा समाहित होती है। सावन की पूर्णिमा पर यहां की गई पूजा से दोनों देवों का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे सुरक्षा, कानूनी मामलों से छुटकारा, मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष सावन शनि पूर्णिमा पूजा में शामिल हों और अपने जीवन में शांति, सुरक्षा और स्थिरता का अनुभव करें।